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सांसारिक सत्ताओं पर निर्भर न रहें अपितु ईश्वर में शरण की खोज करें, सन्त पापा फ्राँसिस

In Church on June 30, 2014 at 1:44 pm

वाटिकन सिटीः सांसारिक सत्ताओं पर निर्भर न रहें अपितु ईश्वर में शरण की खोज करें, सन्त पापा फ्राँसिस

वाटिकन सिटी, 30 जून सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि व्यक्ति सांसारिक सत्ताओं पर निर्भर न रहे बल्कि ईश्वर की शरण जाये जो हमें भय तथा हर प्रकार की दासता से मुक्त करते हैं।
रविवार, 29 जून को, रोम के संरक्षक सन्तों, पेत्रुस एवं पौलुस, के महापर्व के दिन सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रेरित चरित ग्रन्थ में निहित राजा हेरोद के उत्पीड़न एवं सन्त पेत्रुस के बन्दीगृह से रिहाई की घटना पर चिन्तन प्रस्तुत किया।

सन्त पापा ने कहा कि जिस प्रकार पेत्रुस को प्रभु ने हेरोद के कारावास से मुक्ति दिलाई थी उसी प्रकार उनमें विश्वास करनेवालों को मुक्ति मिलेगी तथा वे भय एवं हर प्रकार की दासता से मुक्ति प्राप्त करेंगे।

सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के दिन ही इस वर्ष नियुक्त महाधर्माध्यक्षों को पाल्लियुम अर्थात् अम्बरिकाएँ प्रदान की गई जो रोम के परमाध्यक्ष तथा विश्व के समस्त धर्माध्यक्षों के बीच गहन सम्बन्ध का प्रतीक है।

अपनी प्रेरितिक ज़िम्मेदारियों का साहसपूर्वक निर्वाह करने का महाधर्माध्यक्षों से आग्रह कर सन्त पापा ने कहा कि सन्त् पेत्रुस का साक्ष्य हमें इस बात का स्मरण दिलाता है कि प्रेरितिक जीवन में सुरक्षा के लिये हम सांसारिक सत्ताओं पर दृष्टि न लगायें और न ही अहंकारवश अपनी सन्तुष्टि खोज़ें अपितु ईश्वर में अपने विश्वास को मज़बूत करते हुए उन्हीं में सुरक्षा एवं शरण प्राप्त करें।

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि पेत्रुस ने भय के कारण येसु को तीन बार इनकार कर दिया था जिसके लिये वह स्वतः को कभी माफ़ नहीं कर सका। उसे अपने आप पर एवं अपनी शक्ति पर भरोसा नहीं रहा इसलिये उसने स्वतः को प्रभु येसु एवं उनकी करुणा के सिपुर्द कर दिया और कहाः “प्रभु आप सब कुछ जानते हैं, आप जानते है कि मैं आपसे प्रेम करता हूँ।” सन्त पापा ने कहा कि इन शब्दों के उच्चार के क्षण ही पेत्रुस का भय, उसकी असुरक्षा एवं कायरता ग़ायब हो गई।

सन्त पापा ने कहाः “पेत्रुस ने यह अनुभव किया कि ईश्वर की सत्यनिष्ठा हमारे विश्वासघाती कृत्यों से महान होती है। वह हमारे इनकार से कहीं अधिक बलशाली होती है। ईश्वर की सत्यनिष्ठा हमारे भय को मिटाती तथा हर मानवीय अनुमान से श्रेष्ठकर होती है।”

Juliet Genevive Christopher

 

अपने ट्वीट्स पर कलीसिया पर आशीष तथा ईश्वर एवं पड़ोसी प्रेम की सन्त पापा फ्राँसिस ने की मंगलयाचना

In Church on June 30, 2014 at 1:43 pm

वाटिकन सिटीः अपने ट्वीट्स पर कलीसिया पर आशीष तथा ईश्वर एवं पड़ोसी प्रेम की सन्त पापा फ्राँसिस ने की मंगलयाचना

वाटिकन सिटी, 30 जून सन् 2014 (सेदोक): रोम के संरक्षक सन्तों, पेत्रुस एवं पौलुस, के महापर्व 29 जून को किये अपने ट्वीट पर, सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम तथा सम्पूर्ण कलीसिया के लिये, आशीष की मंगलयाचना की।

रविवार 29 जून के ट्वीट पर सन्त पापा फ्राँसिस ने लिखाः “सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस रोम शहर तथा सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त तीर्थयात्री कलीसिया पर अपनी आशीष दें।”

सोमवार, 30 जून को किये अपने ट्वीट पर सन्त पापा ने ईश्वर एवं पड़ोसी प्रेम का आग्रह करते हुए लिखाः “ईश्वर को अपने पिता सदृश एवं पड़ोसी को अपने समान प्रेम करने में येसु हमारी सहायता करें!”

Juliet Genevive Christopher

 

विदेश मंत्री मिली खाड़ी के राजदूतों से, कहा इराक में भारतीय सुरक्षित

In Church on June 30, 2014 at 1:42 pm

नई दिल्लीः विदेश मंत्री मिली खाड़ी के राजदूतों से, कहा इराक में भारतीय सुरक्षित

नई दिल्ली, 30 जून सन् 2014 (ऊका समाचर): नई दिल्ली में रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी के देशों में कार्यरत भारतीय राजदूतों और दिल्ली में मौजूद खाड़ी देशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद बताया कि ईराक में सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं।

ईराक में लगभग 10,000 भारतीय नागरिक मौजूद हैं। कुछ दिनों पूर्व 39 भारतीयों को अग़वा भी कर लिया गया था।

बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं को बताया कि ईराक ने भारत को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है तथा भारत ईराक में फँसे नागरिकों को सुरक्षा मुहैया करवाने का प्रयास कर रहा है।

इन प्रयासों के तहत उन्होंने बताया ईराक में कार्यरत भारतीय मिशन ने नजफ़, कर्बला और बसरा में अतिरिक्त भारतीय कैम्प कार्यालय खोले हैं तथा बग़दाद में भी मोबाइल यूनिट शुरु की है। उनके अनुसार फँसे नागरिकों को दस्तावेज़ी और निःशुल्क हवाई यात्रा की मदद दी जाएगी। मंगलवार को ही 40 भारतीयों को ईराक से वापस लाने का इन्तज़ाम किया जा रहा था।

उन्होंने एक बार फिर तिकरित में फंसी 46 भारतीय नर्सों के सुरक्षित होने की बात कही और इस बात का खंडन किया कि उनके अस्पताल में बमबारी हुई है।

Juliet Genevive Christopher

 

संत पेत्रुस एवं पौलुस का महापर्व

In Church on June 30, 2014 at 1:42 pm

संत पेत्रुस एवं पौलुस का महापर्व

वाटिकन सिटी, सोमवार, 30 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 29 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने उन्हें सम्बोधित कर कहा,
″प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
प्राचीन काल से ही, 29 जून के दिन, रोम की कलीसिया प्रेरित संत पेत्रुस एवं पौलुस का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाती है। येसु ख्रीस्त में विश्वास ने उन्हें भाई बनाया एवं शहादत ने उन्हें एकता के सूत्र में बाँध दिया। मानवीय स्तर पर पेत्रुस एवं पौलुस एक-दूसरे से काफी भिन्न स्वभाव के थे किन्तु वे ईश्वर द्वारा चुने गये थे तथा दोनों ने ख्रीस्त के बुलावे का प्रत्युत्तर देते हुए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया था। दोनों व्यक्तियों में ख्रीस्त की कृपा ने महान कार्य सम्पन्न किया तथा उन्हें पूरी तरह बदल दिया। सिमोन पेत्रुस ने येसु के दुखभोग के समय येसु को इनकार कर दिया था दूसरी ओर सौल ने ख्रीस्तीयों पर बुरी तरह अत्याचार किया था। किन्तु दोनों ने ईश्वर के प्यार तथा करूणा का एहसास पाने पर मन परिवर्तन किया तथा एक-दूसरे के मित्र एवं ख्रीस्त के प्रेरित बन गये। वे अब भी कलीसिया से बातें करते हैं तथा मुक्ति का रास्ता दिखाते हैं। जब हम आत्मा मारू पाप में गिर जाते तथा हमारे सामने घोर अँधेरा छा जाता है ऐसे समय में भी ईश्वर हमारा मन-परिवर्तन करने तथा पाप क्षमा करने के लिए सदा तैयार हैं उसी प्रकार, जिस प्रकार उन्होंने संत पेत्रुस एवं पौलुस का मन-परिवर्तन किया था। इस प्रकार वे पाप के अंधेरे से निकाल कर हमें अद्भुत प्रकाश में ले आते हैं।
संत पापा ने कहा कि प्रेरित-चरित ग्रंथ उनके साक्ष्य को प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, संत पेत्रुस गरीबों के प्रति विश्वास की नज़रों से देखने तथा हमारे पास जो मूल्यवान वस्तु है अर्थात येसु के नाम की शक्ति, उसका दान करने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने अर्द्धांगी रोगी के साथ ऐसा ही किया, जब प्रेरित संत योहन के साथ वे मंदिर के द्वार पर बैठे भिखारी के पास से होकर गुजर रहे थे। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, ″हमारी ओर देखो″ तथा उन्होंने उसके साथ मानवीय संबंध स्थापित करने हेतु उसे अपनी नज़रों में नजर डालने का निमंत्रण दिया।
फिर कहा, ″मेरे पास न तो चाँदी है और न सोना; बल्कि मेरे पास है जो, वही तुम्हें देखा हूँ- ईसा मसीह नाजरी के नाम पर चलो”। (प्रे.च.3꞉4-6) उन्होंने उसके हाथों को लेकर चलने में मदद किया और व्यक्ति चलने लगता है। उपस्थित सभी लोगों के लिए यह एक विस्मयकारी घटना थी क्योंकि येसु ने पेत्रुस के माध्यम से उसे चंगाई प्रदान की थी।
संत पौलुस का दमिश्क शहर के रास्ते पर मन परिवर्तन की घटना का तीन बार जिक्र किया गया है। इस घटना के द्वारा उसके जीवन में एक नया मोड़ आया जो उसके पूर्व एवं बाद के जीवन को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करता है।
पौलुस पहले कलीसिया का विरोधी था जबकि बाद में उसने सुसमाचार की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। हमारे लिए भी यही है जब हम ख्रीस्त के वचन को प्राप्त करते हैं तो हमारा जीवन पूरी तरह बदल जाता है। यदि हम ईश वचन को नहीं सुनते हैं तो हम अपने स्थान पर अडिग रहते तथा अपनी आदतों में चिपके रहते हैं। ईश वचन हमें स्वार्थ से ऊपर उठकर हमारे गुरु, जिन्होंने अपने मित्रों के लिए अपने प्राण निछावर कर दिये उनके पद चिन्हों पर चलने में मदद करता है। यदि हम उदार होकर उनसे क्षमा याचना करते हैं तो वे हमें अपने वचनों से बदल देते तथा क्षमा प्रदान करते हैं।
संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, यह पर्व हमें बड़ा आनन्द प्रदान करता है क्योंकि यह हमें दो व्यक्तियों पर ईश्वर की करूणा की याद दिलाता है। ऐसे लोगों पर जो घोर पापी थे। ईश्वर हमें भी अपनी कृपाओं से भर देना चाहते हैं जिस प्रकार उन्होंने पेत्रुस और पौलुस से किया। धन्य कुँवारी मरिया उन महान संतों की तरह येसु ख्रीस्त एवं सुसमाचार के साक्ष्य हेतु उदार बनने में हमारी सहायता करें तथा कठिनाईयों की घड़ी हमारी मदद करे। हम महाधर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करें जिनकी नियुक्ति गत वर्ष हुई है तथा जिनके साथ आज मैंने संत पेत्रुस महागिरजाघर में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया है। मैं उन्हें तथा उनके सभी विश्वासियों तथा परिवारों का अभिवादन करता एवं अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त करता हूँ।
इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया।
देवदूत प्रार्थना का पाठ कर संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।
उन्होंने इराक की वर्तमान परिस्थिति पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इराक से जो खबर आ रही है वह अत्यन्त दुखद है। मैं वहाँ के धर्माध्यक्ष के साथ मिलकर सरकार से अपील करता हूँ कि संवाद द्वारा देश की एकता को बनाए रखा जा सकता है तथा युद्ध रोका जा सकता है। वे हज़ारों परिवारों के साथ हैं विशेषकर, ख्रीस्तीय जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ रहा है तथा वे भारी संकट में पड़े हैं। हिंसा हिंसा को ही उत्पन्न करती है। संवाद ही शांति का एकमात्र रास्ता है। हम माता मरिया से प्रार्थना करें कि वे ईराक की रखवाली करें।
संत पापा ने रोम के संरक्षक संत पेत्रुस एवं पौलुस के पर्व पर, रोम वासियों का अभिवादन किया। उन्होंने फूलों द्वारा विया देला कॉनचेलात्सियोने पर कलात्मक सजावट के लिए सभी कलाकारों को बधाईयाँ दी।
अंत में उन्होंने सभी लोगों को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

Usha Tirkey

 

रोम के प्रथम शहीद

In Church on June 30, 2014 at 1:40 pm

प्रेरक मोतीः रोम के प्रथम शहीद (सन् 64 ई.)(30 जून)

काथलिक कलीसिया ने 30 जून का दिन रोम के प्रथम ख्रीस्तीय शहीदों का स्मृति दिवस घोषित किया है। प्रथम ख्रीस्तीय शहीद आरम्भिक कलीसिया के सदस्य हैं जिन्हें रोमी सम्राट नीरो के उत्पीड़न काल में मौत के घाट उतार दिया गया था। सन् 64 ई. में, अपने अपराधों पर पर्दा करने के लिये, नीरो ने रोम में आग लगवा दी थी तथा इसका दोष ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर मढ़ दिया था। दुष्ट नीरो ने कुछ ख्रीस्तीयों को अपने सन्ध्याकालीन प्रीति भोजों में मशालों की तरह जलाकर मार डाला तो कुछ को क्रूस पर टाँगकर और अन्यों को जंगली जानवरों के आगे छोड़ दिया था।

नीरो के अत्याचार तथा ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न की दर्दनाक घटनाएँ, तचीतुस तथा सन्त पापा क्लेमेन्त प्रथम सहित, अनेक इतिहासकारों द्वारा रिकार्ड की गई हैं। रोम के प्रथम शहीदों ने सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस से पहले शहादत प्राप्त की थी इसीलिये इन्हें “प्रेरितों के शिष्य” कहा जाता है।

30 जून को रोम के प्रथम शहीदों का पर्व मनाये जाने की घोषणा द्वितीय वाटिकन महासभा के बाद की गई थी तथा सन् 1969 ई. से यह पर्व काथलिक पंचांग में है। इस पर्व को सन्त पेत्रुस तथा सन्त पौलुस के पर्व के एक दिन बाद रखा गया है जो रोम के दो महान प्रेरित थे।

चिन्तनः अत्याचारों और अनाचारों के बावजूद प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास का साक्ष्य देनेवाले रोम के प्रथम शहीद हमारी प्रेरणा का स्रोत बनें।

Juliet Genevive Christopher

 

ख्रीस्त में एक होकर हम अपने प्यार का इज़हार कर सकें

In Church on June 28, 2014 at 2:10 pm

ख्रीस्त में एक होकर हम अपने प्यार का इज़हार कर सकें

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ इस्ताम्बुल स्थित ऑथोडोक्स कलीसिया के प्रतिनिधियों से, संत पापा फ्राँसिस ने 28 जून को वाटिकन के प्रेरितिक प्रसाद में मुलाकात कर उनका सहर्ष स्वागत किया।
संत पापा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा, ″हाल में सम्पन्न हुई येसु की पवित्र भूमि में प्रेरितिक यात्रा के दौरान भाई बरथॉलोमियोस से मेरी मुलाकात की याद ताज़ी है जहाँ हमने हमारे पहले के प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस एवं संत पापा पौल षष्टम द्वारा 50 वर्षों पूर्व किये आलिंगन को दोहराया था। यह महत्वपूर्ण चिन्ह ईश्वर की कृपा से हमारी यात्रा में एक विशेष प्रेरणा बनी रही। मैं इसे एक महान वरदान मानता हूँ कि हम दोनों ने एक साथ पवित्र भूमि के विभिन्न स्थलों में श्रद्धासुमन तथा प्रार्थनाएँ अर्पित कीं। हमने आशा के स्रोत के पावन स्थल का स्पर्श किया। ईश्वर ने वह अवसर हमें प्रदान किया कि हम भाई-भाई आपस में मिल सकें जिसमें हम ख्रीस्त में एक होकर अपने प्यार का इज़हार कर सकें तथा पूर्ण एकता में एक साथ मिलकर आगे बढ़ने की चाह को नवीकृत कर सकें।
संत पापा ने कहा कि हम यह भली-भांति जानते हैं कि एकता ईश्वरीय वरदान है। पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा हम विश्वास की नज़रों से एक-दूसरे पर दृष्टि डाल सकते हैं। हम ईश्वर की अनन्त योजना के सहभागी हैं न कि इतिहास में हमारे पापों के परिणाम स्वरूप जो हम बन गये हैं। यदि हम पवित्र आत्मा की प्रेरणा से एक-दूसरे में ईश्वर को देख पायेंगे तो हमारे मार्ग सीधे हो जायेंगे तथा दैनिक जीवन में हमारे संबंध सभी क्षेत्रों में अधिक मधुर बन जायेंगे।
एक दूसरे में ईश्वर को देखने का रास्ता विश्वास, भरोसा और प्रेम द्वारा पोषित होता है। इस प्रतिबिंब द्वारा हम एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बांध सकते हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि काथलिक एवं ऑरथोडॉक्स कलीसिया का संयुक्त अन्तरराष्ट्रीय आयोग का प्रयास, एकता के क्षेत्र में महान चिन्ह साबित हो। हम सभी साहस एवं दृढ़ता से पवित्र आत्मा के कार्यों के प्रति उदार बने रह सकें है।
संत पापा ने सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, ″प्रिय प्रतिनिधियो मैं बड़े सम्मान, मित्रता और ख्रीस्त के प्रेम से आपकी उपस्थिति के प्रति कृतज्ञ हूँ। कृपया माननीय भाई बारथॉलोमियो के प्रति मेरी श्रद्धा व्यक्त करें तथा मेरे लिए प्रार्थना करना जारी रखें।″

Usha Tirkey

 

प्यार का मतलब लेने से अधिक देना

In Church on June 28, 2014 at 2:09 pm

प्यार का मतलब लेने से अधिक देना

वाटिकन सिटी शनिवार 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ ″ईश्वर एक दयालु पिता के समान हैं जो हमारा हाथ पकड़ कर चलते हैं अतः हमें एक छोटे बालक की तरह उनके साथ बात-चीत करना है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 27 जून को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।
येसु के पवित्रतम हृदय को समर्पित महापर्व पर प्रवचन में संत पापा ने ईश्वर तथा उनकी प्रजा के बीच प्रेम की प्रकृति पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने इस त्यौहार को येसु में ईश्वर के प्यार का उत्सव कहा।
संत पापा ने कहा, ″इस प्यार के दो पहलू हैं। पहला, प्यार का मतलब है लेने से अधिक देना। दूसरा है बात से अधिक काम। उन्होंने कहा कि प्यार लेने की अपेक्षा देना है क्योंकि प्यार एक संबंध है और यह बांटता है। जो उसे स्वीकार करता है वह प्यार किया गया है। जब हम कहते हैं कि प्यार बात की अपेक्षा कार्य है तो इस लिए क्योंकि प्यार जीवन प्रदान करता है तथा हमें बढ़ाता है।″
संत पापा ने कहा कि ईश्वर के प्यार को समझने के लिए हमें एक छोटे बालक के समान बनना चाहिए। ईश्वर हमसे आशा करते हैं कि हमारा संबंध, एक पिता और पुत्र के बीच का संबंध हो। ईश्वर हमसे दुलार से कहते हैं मैं तुम्हारे साथ हूँ।
संत पापा ने कहा कि यही ईश्वर का स्नेह एवं उनकी कोमलता है। यही हमें स्नेहिल बनने का बल प्रदान करता है पर यदि हम अनुभव करते हैं कि हम मजबूत हैं तो हम ईश्वर के उस लाड़-प्यार का अनुभव कदापि नहीं कर पायेंगे। उनका दुलार अजीब है। वे कहते हैं- डरो नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ मैं तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलूँगा। ईश्वर के ये वचन हमें उनके प्यार के रहस्य को समझने में मदद देते हैं। येसु पिता के प्यार के हकदार हैं तथापि जब वे अपने बारे में बतलाते हैं तो कहते हैं, ″मैं स्वभाव से विनम्र और विनीत हूँ।″
संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि ईश्वर सदा हमारी नज़रों के सामने हैं हमारा इन्तजार कर रहे हैं हम उनसे कृपा की याचना करें ताकि उनके प्यार के रहस्य में प्रवेश कर सकें।

Usha Tirkey

 

मित्रता

In Church on June 28, 2014 at 2:09 pm

मित्रता

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने 28 जून को ट्वीट संदेश प्रेषित कर ईश्वर के साथ मित्रता का अर्थ समझाया।
उन्होंने संदेश में लिखा, ″ईश्वर के साथ मित्रता का अर्थ है सरल हृदय से प्रार्थना करना, उसी प्रकार जिस प्रकार बच्चे अपने माता-पिता से बात-चीत करते हैं।″
संत पापा के ट्वीट संदेश को नौ भाषाओं- इतालवी, इताली, लैटिन, अँग्रेज़ी, स्पानी, पुर्तगाली, फ्रेंच, जर्मन एवं अरबी भाषाओं में प्रेषित किया गया।
विदित हो कि संत पापा के ट्वीट को प्राप्त करने वालों की आधिकारिक संख्या 10 मिलियन है और अंग्रेजी में 4 मिलियन लोग संत पापा के संदेश को प्राप्त करते हैं।

Usha Tirkey

कांदिविदी Invia articolo

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कई भारतीय युवक अब भी इराक में

In Church on June 28, 2014 at 2:08 pm

कई भारतीय युवक अब भी इराक में

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 जून 2014 (टाइम्स ऑफ इंडिया)꞉ इराक में अब भी कई भारतीय अपने कार्य स्थलों में फसे हैं जिसका बड़ा उदाहरण है कारबाला। संयुक्त राष्ट्रसंघ के न्याय हेतु ग़ैरसरकारी स्वयं सेवक दल की रिर्पोट अनुसार करीब 231 भारतीय युवक अपने कार्य स्थलों में इराक़ी आतंकवादियों के कैद में हैं।
इराक के कारबाला में फंसे मनप्रित सिंह ने टाम्स ऑफ इंडिया के पत्रकारों से कहा, ″हमें दिन में एक या दो बार खाने के लिए खजूर और चावल दिया जाता है किन्तु कम्पनी से बाहर जाने की अनुमति नहीं दिया जाता है। कुछ दिनों पूर्व एक हथियार धारी व्यक्ति रात में हमारे पास आकर हमारा पासपोर्ट जमा करने को कहा किन्तु हमने उन्हें पासर्पोट देने से इन्कार किया। हम नहीं जानते कि कम्पनी अब किनके हाथों में है। वास्तविक प्रबंधन खत्म हो चुका है।″
उनके सहकर्मी सुनिल ने कहा कि मैं नहीं सोचता कि वे आतंक वादी हैं किन्तु वे हम पर नजर रख रहे हैं।

Usha Tirkey

 

कार्डिनल ताग्ले ने अभिवादन की प्रथा का किया खंडन

In Church on June 28, 2014 at 2:07 pm

कार्डिनल ताग्ले ने अभिवादन की प्रथा का किया खंडन

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 जून 2014 (उकान)꞉ फिलीपींस के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष एवं मनीला के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल लुईस अंतोनी ताग्ले ने पुरोहितो द्वारा पावन ख्रीस्तयाग के पूर्व ‘गुड मोर्निंग’ कह कर विश्वासियों का अभिवादन करने की प्रथा का खंडन किया।
वेबसाईट के माध्यम से फिलीपींस के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन को प्रेषित एक पत्र में उन्होंने सभी पुरोहितों से आग्रह करते हुए लिखा, ″पूरे सम्मान के साथ मैं सभी पुरोहित भाईयों से आग्रह करता हूँ कि पावन ख्रीस्तयाग के पूर्व विश्वासियों का अभिवादन करते हुए ‘प्रभु आप लोगों के साथ हो’ के अलावा ‘गुड मोर्निंग’ या अन्य किसी प्रकार के अभिवादन का प्रयोग न करें क्योंकि पवित्र युखरिस्त में ईश्वर की उपस्थिति सर्वश्रेष्ठ है।″
उन्होंने प्रश्न किया कि ‘प्रभु आप के साथ हो’ कह कर अभिवादन करना क्या पर्याप्त नहीं है?
कार्डिनल ने कहा कि पुरोहित ‘प्रभु आप लोगों के साथ हो’ के अभिवादन से ज्यादा जोर ‘गुड मोर्निंग’ में देने लगे हैं। उनके अनुसार गुड मोर्निंग या सुप्रभात कह कर सभी अभिवादन कर लेते हैं किन्तु ‘प्रभु आपके साथ हो’ का अभिवादन सिर्फ ख्रीस्तयाग के समय किया जाता है।
कार्डिनल ताग्ले ने कहा कि पुरोहित स्वभावत: अपने पल्लीवासियों का गुड मोर्निंग कह कर अभिवादन करते हैं जिससे स्पष्ट है कि ‘प्रभु आपके साथ हो’ का परस्पर आदान प्रदान नहीं होता है। वे पुरोहितों की इस आदत को दूर करना चाहते हैं।

Usha Tirkey