जूलयट जेनेविव क्रिस्टफ़र
वाटिकन सिटी, 11 मई सन् 2011 (एपी): वाटिकन द्वारा नियुक्त वैज्ञानिकों की एक समिति ने जलवायु परिवर्तन पर चेतावनी देते हुए
इस बात के प्रति सचेत कराया है कि पृथ्वी गर्म हो रही है, ग्लेशियर अर्थात
हिमनदियाँ पिघल रही हैं तथा क्षति को कम करने के लिये ठोस उपायों की नितान्त
आवश्यकता है।
वैज्ञानिकों ने कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन, मीथेन में कटौती तथा अन्य
प्रदूषणकारी तत्वों को तत्काल कम करना अनिवार्य बताया तथा पहाडी हिमनदियों के
बेहतर अवलोकन का आह्वान किया ताकि परिवर्तनों पर नज़र रखी जा सके।
विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के तत्वाधान में वैज्ञानिकों एवं जलवायु परिवर्तन
विशेषज्ञों की बैठक विगत माह वाटिकन में सम्पन्न हुई थी जिसकी अन्तिम रिपोर्ट पाँच
मई को जारी की गई तथा मंगलवार नौ मई को वाटिकन की वेब साईट पर प्रकाशित की गई।
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा, “इस तथ्य के प्रति सचेत रहते हुए कि
हम सब एक ही घर में निवास करते हैं, सभी देशों से हम अपील करते हैं कि
वे, बिना विलम्ब, समुदायों एवं पर्यावरण निकायों पर
पड़नेवाले, जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं परिणामों को रोकने हेतु
उचित नीतियाँ विकसित कर उन्हें लागू करें।”
रिपोर्ट में कहा गया “हम यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध हैं कि इस ग्रह के सभी
निवासियों को अपनी दैनिक रोटी मिले, सांस लेने के लिये स्वच्छ वायु
मिले और पीने के लिये स्वच्छ जल मिले। यदि हम न्याय एवं शांति चाहते हैं तो हमें
उस धरती की रक्षा करनी होगी जिससे हमारी जीविका चलती है।”
वाटिकन के प्रेस प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा कि उक्त रिपोर्ट महत्वपूर्ण है तथापि
यह काथलिक कलीसिया की प्रमुख शिक्षाओं का अंग नहीं है तथा स्वतंत्र वैज्ञानिकों के
निष्कर्षों को प्रतिबिम्बित करती है। उन्होंने कहा तथापि उक्त रिपोर्ट एक
महत्वपूर्ण वैज्ञानिक योगदान है तथा सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा उनके
विश्व पत्रों एवं सार्वजनिक बयानों में व्यक्त चिन्ताओं को आवाज़ देती है।