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उन्होंने कहा कि धर्मविधि का मुख्य उद्देश्य ईश्वर की महिमा करना है। उन्होंने धर्मविधि शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ सार्वजनिक आराधना है। यह सक्रिय रुप से ईश्वर के कामों में हमारी सहभागिता है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इस सम्पूर्ण विधि में ईश्वर से मुलाकात करते हैं।
धर्मविधि में गीतों के बारे में उन्होंने कहा कि गायक दल दूसरों की सहभागिता को कम न करें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि नये गीतों का चुनाव में ध्यान देना की जरूरत है क्योंकि यह अन्य लोगों को धर्मविधि से तटस्थ कर देता है।
विश्वसियों के निवेदन के बारे में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक आराधना में निजी प्रकृति के निवेदन चढ़ाना उचित नहीं है। धर्मविधि की निवेदन प्रार्थना ऐसी होनी चाहिए की सभी उस प्रार्थना के अंग बनें।
ईश वचन की उद्घोषणा के दौरान विश्वासियों को ध्यानपूर्वक धर्मग्रंथ पढ़ना और सुनना चाहिए। यह क्षण बाईबल के अध्ययन का नहीं वरन् यह समय ईश्वर के वचनों को गौर से सुनने का है कि वे हम से क्या कह रहे हैं। फादर माहलाहला ने कहा यद्यपि हम मिस्सा की तैयारी स्वरूप दैनिक पाठों को मिस्सा के पहले पढ़ सकते हैं जिससे हम उनमें निहित गूढ़ बातों को अच्छी से समझ सकें।
(Dilip Sanjay Ekka)