काथलिक कलीसिया के करुणा को समर्पित वर्ष के सन्दर्भ में उन्होंने स्मरण दिलाया कि दया के कार्य ही सही अर्थ में क्रिसमस मनाना है। उन्होंने, विशेष रूप से, आदिवासी आप्रवासियों का स्मरण किया जो अपनी जन्मभूमि का परित्याग कर नौकरियों की तलाश में मुम्बई आते हैं तथा कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं।
उन्होंने कहा, “प्रतिवर्ष क्रिसमस हमारे लिये शुभकामनाएँ ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में सम्पादित दया के कार्यों की कहानियों को भी साथ लेकर आता है जो शिशु येसु से प्रस्फुटित होती हैं।”
अपने सन्देश में कार्डिनल ग्रेशियस ने लिखा, “क्रिसमस तब शुरु होता है जब हम ईश्वर की करुणा से टूटे हुए दिलों के घावों को भरते हैं, जब हम भूखों को भोजन कराते तथा लोगों में प्रेम एवं क्षमा का प्रसार कर उनमें आशा का संचार करते हैं।”
उपहारों के आदान-प्रदान को अर्थ प्रदान करते हुए कार्डिनल महोदय ने लिखा, “ईश करुणा को लोगों तक ले जाना ही क्रिसमस का सार है, ज़रूरतमन्दों की सहायता करना ही हमारा सबसे बड़ा उपहार हो सकता है।”
(Juliet Genevive Christopher)