तीन साल पहले संत पापा फ्राँसिस ने सूडान की संत जोस्फिन बकिता के पर्व के अवसर पर, धर्मसमाजी भाई बहनों से आग्रह किया था कि उसे मानव तस्करी के शिकार हज़ारों लोगों की दुखद स्थिति के प्रति जागरूकता लाने हेतु समर्पित किया जाए।
बुधवार को विभिन्न धर्मसंघों की सुपीरियर जेनेरल के अंतरराष्ट्रीय संघ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस वर्ष गुलामी के शिकार बच्चों के छुटकारे हेतु विशेष पहल की जाए।
रोम में इस गतिविधि को प्रमुखता देते हुए ग्रेगोरियन विश्व विद्यालय में एक सेमिनार एवं लोगों में जागृति लाने हेतु फिल्म प्रदर्शन तथा जागरण प्रार्थना का आयोजन किया गया था।
वाटिकन रेडियो से बातें करते हुए यूआईएसजी की अध्यक्षा सि. कारमेन सम्मट ने याद किया कि धर्मबहनों ने संत पापा से गुलामी के विरूद्ध विश्व दिवस से संबंधित प्रश्न किया था जिसका उत्तर देते हुए उन्होंने उन्हें तस्करी के शिकार लोगों के लिए यादगारी दिवस आयोजित करने का कार्यभार सौंपा था।
उन्होंने बतलाया कि मानव तस्करी के खिलाफ धर्मसंघियों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क ‘तालिथा कुंभ’ विश्व के 80 देशों में फैल चुका है जिसके सदस्य इसे एक महत्वपूर्ण वार्षिक अवसर मानते हुए प्रार्थना दिवस के रूप में मनाते हैं।
सिस्टर कारमेन ने जानकारी दी कि इस वर्ष को तस्करी के शिकार बच्चों के लिए समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा, ″चिंतन करने में सबसे खौफनाक बात है बच्चे को एक बच्चा होने नहीं दिया जाना तथा उसे बंधुवा मजदूरी, यौन शोषण अथवा उसके अंगों को निकालने हेतु उन्हें गुलाम बना लेना। उन्होंने इसे अत्यन्त दुखद बतलाया तथा कहा कि बढ़ती गरीबी के कारण इस परिस्थिति में भी बढ़ोतरी हो रही है।
उन्होंने संत पापा की बातों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि ऐसी वस्तुओं को खरीदने से बचना चाहिए जो मानव तस्करी को बढ़ावा देता है क्योंकि खरीदना न केवल एक आर्थिक क्रिया है किन्तु नैतिक भी क्योंकि हम विभिन्न अनैतिक वस्तुओं को न खरीदकर भी बदलाव लाने में अपना सहयोग दे सकते हैं खासकर, बच्चों से यौन संबंधी सेवायें।
(Usha Tirkey)