संदेश में उन्होंने लिखा, ″आइए, हम येसु का अनुसरण बात से नहीं पर कामों से करने और अपने दैनिक जीवन के कष्टों को धैर्य पूर्वक सहन करने की कृपा याचना करें।”
(Margaret Sumita Minj)
संदेश में उन्होंने लिखा, ″आइए, हम येसु का अनुसरण बात से नहीं पर कामों से करने और अपने दैनिक जीवन के कष्टों को धैर्य पूर्वक सहन करने की कृपा याचना करें।”
(Margaret Sumita Minj)
संत पापा ने हिंसा और भेदभाव के कारण दुःख सहते लोगों की मदद करने वालों के प्रति आभार प्रकट किया, साथ ही उनके प्रति अपनी एकजुटता और प्रार्थना का आश्वासन दिया।
संत पापा फ्राँसिस ने विभिन्न समुदायों को भविष्य में सम्मान,शांति और सुरक्षा के निर्माण में अपनाये गये संवाद और सुलह के मार्ग को जारी रखने हेतु प्रोत्साहित किया।
(Margaret Sumita Minj)
विदित हो कि संत पापा फ्राँसिस फातिमा में माता मरियम के दिव्य दर्शन की शतवर्षीय जयन्ती के अवसर पर, 12 और 13 मई को पुर्तगाल की प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर करीब 15:00 बजे मोन्ते रेआल हवाई अड्डे से रोम के लिए प्रस्थान किये और करीब 19,05 बजे रोम के चंपीनो हवाई अड्डे पहुँचे और वहाँ से वे वाहन द्वारा वाटिकन सिटी अपने निवास स्थान लौटे।
(Margaret Sumita Minj)
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प्रेस कोंन्फरेंस की शुरुआत संत पापा की प्रेरितिक यात्रा से शुरु हुई। “फातिमा शांति का संदेश है जो मानवता के लिए 13 साल से कम उम्र के तीन बच्चों द्वारा लाई गई थी।″ संत पापा ने शांति के विषय पर जोर देते हुए कहा,″दुनिया शांति की आशा कर सकती है … हर किसी के साथ मैं शांति की बात करता हूँ!”
मरियम दर्शन प्रार्थनालय में संत पापा द्वारा की गई प्रार्थना में फातिमा के प्रसिद्ध “तीसरे रहस्य” के लिए एक स्पष्ट संकेत ″सफेद कपड़ों में धर्माध्यक्ष″ के बारे में पूछे जाने पर संत पापा ने कहा कि प्रार्थना फातिमा तीर्थालय के संचालकों द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने सफेद और संदेश के बीच में संबंध जोड़ते हुए कहा कि फातिमा की माता मरियम सफेद कपड़ों में है, सफेद कपड़ा बपतिस्मा के समय बच्चों की निर्दोषता को प्रकट करता है। सफेद रंग द्वारा उन्होंने शांति की इच्छा, निर्दोषता और दूसरों से युद्ध नहीं करने की इच्छा को प्रकट करने की कोशिश की है। ″तीसरे रहस्य″ के बारे में संत पापा ने कहा कि सन् 2000 में कार्डिनल रात्सिंगर कलीसिया के प्रधान धर्माचार्य ने इसके बारे में सब कुछ स्पष्ट रूप से व्याख्या की थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनकी आगामी बैठक के बारे में संत पापा ने कहा, ″ मैं लोगों के साथ बात किये और उनकी बातें सुने बगैर कोई न्याय नहीं करता हूँ हमारे बातचीत करने के दौरान बातें सामने आयेंगी। वे जो सोचते हैं उसे प्रकट करेंगे और मैं जो सोचता हूँ उसे बोलूँगा। प्रवासियों के बारे आप मेरा विचार जानते ही हैं। कुछ दरवाजे ऐसे हैं जो पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं। हमें उस दरवाजे को ढूढ़ने और प्रवेश करने का प्रयास करनी चाहिए। और आम विषयों पर बातें करते हुए एक-एक कर पायदान उपर चढना है। शांति हस्तनिर्मित है और हर दिन इसके लिए प्रयास करना है। लोगों के बीच मित्रता, पारस्परिक ज्ञान, आपसी सम्मान को प्रतिदिन बनाना पड़ता है। अन्य जो भी ईमानदारी के साथ कहता है उसका सम्मान करना चाहिए।”
कलीसिया में यौन शोषण संकट के संबंध में संत पापा ने कहा, “मैं [यौन शोषण पीड़िता] मेरी कोलिन्स से बातें की। उन्होंने मुझे स्थिति के बारे में अच्छी तरह से समझाया। वे एक अच्छी महिला हैं। वे इस मुद्दे पर पुरोहितों के साथ प्रशिक्षण देना जारी रखेंगी। उन्होने इस आरोप को संबोधित किया कि कुछ कारणों से वहाँ बहुत सारे मामले दर्ज किये गयें हैं जिसमें देरी की जा रही है।संत पापा ने कहा कि देरी इसलिए हो रही है क्योंकि बहुत सारे मामले जमा हो गये हैं आज लगभग सभी धर्मप्रांतों में एक मूल पत्र का पालन किया जा रहा है और मुद्दे अच्छी तरह से फाईल की जा रही हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण पहल है।”
(Margaret Sumita Minj)
पादरी स्टेफन त्रिपुरा ने ऊका समाचार को बताया कि 10 मई की रात को खागराछारी जिले के दर्जन से अधिक मुसलमानों ने सेवेंथ डे अडवेंटिस्ट गिरजाघर में पथराव किया।
उन्होंने गिरजाघर के दरवाजे को लाथ मार कर तोड़ दिया और गिरजाघर में घुस आये। उन्होंने मेरी बहन और मेरी भतीजी जो वहीं रहती हैं, के कपड़े फाड़ दिये और उनका बलात्कार करने की कोशिश की। उनका रोना और चिल्ला सुनते ही स्थानीय ख्रीस्तीय उन्हें बचाने आये और उन्हें देखकर हमलावर भाग गए।
उन्होंने कहा कि उसकी बहन और भतीजी वहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए आई थी पर अब उन्हें बहुत बड़ा आघात पहुँचा है।
पादरी ने कहा कि वहाँ के ख्रीस्तीयों का स्थानीय मुस्लिमें के साथ कोई भी समस्या नहीं है परंतु वे संदेह करते हैं कि यह हमला भूमि विवाद की वजह से हुई है।
वे यहाँ दो वर्षों से काम कर रहे हैं पर मुसलमानों के साथ कोई समस्या नहीं हुई थी। उसे मालुम हुआ कि मुसलमानों और ख्रीस्तीयों के बीच एक अनसुलझी भूमि विवाद थी।
कलीसिया के अधिकारियों ने एक शिकायत दर्ज की, लेकिन आपराधिक मामले की नहीं। पादरी त्रिपुरा ने कहा, “हमने स्थानीय मुस्लिमों को परेशान करने और अधिक हिंसा को आमंत्रित करने के डर के लिए एक मामला दर्ज नहीं किया है।”
दिघीनाला पुलिस थाने के प्रभारी मिजानुर रहमान ने सांप्रदायिकता के आरोपों को दूर कर दिया।
रहमान ने उका समाचार से कहा,”हम घटना के बाद गए थे और यह एक सांप्रदायिक या ख्रीस्तीयों पर हमला नहीं लगता, बल्कि एक व्यक्तिगत मुद्दा है। बहरहाल, हम गिरजाघर की सुरक्षा के बारे में चिंतित हैं क्योंकि हम सभी धार्मिक पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए हैं। ”
बांग्लादेश का एकमात्र पर्वतीय क्षेत्र चितगोंग पहाड़ी इलाका है जिसमें 12 जातियों के आदिवासी रहते हैं जो ज्यादातर बौद्ध हैं और कुछ ख्रीस्तीय हैं।
1970 के बाद से तनाव पैदा हो गया है जब सरकार ने स्थानीय जनसांख्यिकी को बदलकर आदिवासियों की भूमि को हड़प कर भूमिहीन बंगाली मुसलमानों को बैठाना शुरू कर दिया था। आदिवासियों ने इसका विरोध किया और वापस जमीन पाने हेतु लड़ने के लिए एक मिलिशिया समूह का गठन किया।
सरकार ने आदिवासियों के 20 वर्षों से चल रहे गुरिल्ला युद्ध के विरोध को रोकने के लिए इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैन्य बल तैनात किया जो 1997 में शांति समझौते के साथ समाप्त हुआ।
(Margaret Sumita Minj)
सिस्टर सुमन छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में एसएमएमआई धर्मसमाज के स्वामित्व, प्रबंधन और प्रशासित ख्रीस्त सहाय केंद्र अस्पताल की निदेशिका हैं।
सिस्टर सुमन ने कहा, “मेरे सेवा कार्य करने का उद्देश्य कुछ नहीं बस “प्रेम और सेवा” है। मैं ईश्वरीय शक्ति में विश्वास करते हुए खुशी और शांति से सेवा कार्य करती हूँ।″ उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के लोग आर्थिक रुप से गरीब हैं और अधिकांश लोग आदिवासी हैं। कई मामलों में, वे स्वास्थ्य के बारे में जागरूक नहीं हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना खराब स्थिति में है और निजी क्लीनिक गरीबों की पहुंच के बाहर हैं। मसीह सहाय केंद्र अस्पताल गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करता है। हम गरीबों के लिए स्वास्थ्य देखभाल और सस्ती कीमत पर उन लोगों की जरूरतों की चीजें प्रदान करते हैं, यहां तक कि कम दर पर दवाईयाँ भी देते हैं।
(Margaret Sumita Minj)