Vatican Radio HIndi

वाटिकन द्वारा ‘प्रवास’ पर संगोष्ठी की मेजबानी

In Church on June 14, 2017 at 3:15 pm

वाटिकन सिटी, बुधवार, 14 जून 2017 (रेई) : वाटिकन में 12 और 13 जून को ‘प्रवासियों और शरणार्थियों’ पर सेमिनार का आयोजन किया गया था जिसमें 40 देशों के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रतिनिधि धर्माध्यक्षों और विभिन्न देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। 2018 में संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक अंतरसरकारी महासम्मेलन होने के पहले सेमिनार का आयोजन किया गया जिससे कि विश्व के राजनेताओं के सामने प्रस्तुत करने हेतु एक दस्तावेज तैयार किया जा सके।

दस्तावेज़ चार सिद्धांतों पर आधारित है जिसे संत पापा फ्राँसिस ने खुद वर्तमान प्रवास समस्या के प्रति काथलिकों की प्रतिक्रिया के सारांश के रुप में नामित किया है, वे हैः स्वागत, संरक्षण, संवर्धन और एकीकरण।

वाटिकन के नए कार्यालय सम्पूर्ण मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठ से संलग्न एक नये परिषद प्रवासी और शरणार्थी विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया था।

एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के मानव विकास कार्यालय के पूर्व कार्यकारी सचिव पाकिस्तान के फादर बोनी मेंदेस ने भी सम्मेलन में भाग लिया। वाटिकन रेडियो की फिलिप्पा के साथ साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि सेमिनार में प्रवासियों और शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के मानव अधिकार पर चर्चा की गई जो विभिन्न कारणों से दूसरे देशों में रहते हैं। उनके लिए एक अधिकार पत्र बहुत महत्वपूर्ण है जिससे कि वे विशेषकर बच्चों और महिलाओं को ज्यादा तकलीफ न हो। उन्होंने कहा कि 2018 में वैश्विक कम्पैक्ट के विचार-विमर्श के पूर्व यह एक प्रारंभिक चरण है। इसी तरह की तैयारी काथलिक विशेषज्ञों ने सन् 2015 में पेरिस सी.ओ.पी. 21 के जलवायु परिवर्तन के लिए भी किया था।

फादर बोनी ने कहा कि इस मुद्दे पर संत पापा फ्राँसिस की बातों का, एशिया में विशेषकर मुस्लिम नेतागण “बहुत सम्मान करते” हैं। वे “लोगों के बीच लोकप्रिय” है, पर काथलिकों की आवाज सरकारों और राजनेताओं के स्तर पर सुनाना कठिन है। दस्तावेज में सरकारों से अर्ज की गई है कि वे प्रवास पर “राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य” के बदले “मानव सुरक्षा परिप्रेक्ष्य” को अपनायें। ये दोनों एक-दूसरे का विरोधाभास नहीं पर एक दूसरे के साथ सहयोग के रुप में देखा जाना चाहिए।


(Margaret Sumita Minj)

Leave a comment