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ईर्ष्या भ्रातृत्व को नष्ट कर देता है, उसे तुरन्त विराम दें

In Church on February 13, 2017 at 4:27 pm

वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): परिवार एवं लोगों का विनाश क्षुद्र ईर्ष्या और जलन की भावना द्वारा होता है जिसे शुरू में ही रोक देना चाहिए। नाराजगी भाईचारे की भावना को नष्ट कर देती है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कही।

भ्रातृत्व छोटी-छोटी चीजों द्वारा नष्ट हो जाती है

प्रवचन में संत पापा ने उत्पति ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जो काईन और हाबिल की चर्चा करता है। उन्होंने कहा कि बाईबिल में पहली बार भाई शब्द का प्रयोग किया गया है तथा इस कहानी में भ्रातृत्व का भाव बढ़ता, सुन्दर प्रतीत होता किन्तु अंत में नष्ट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, ″कहानी की शुरूआत ईर्ष्या से शुरू होती है। काईन क्रोध में है क्योंकि उसके बलिदान द्वारा ईश्वर खुश नहीं हुए। उसके अंदर क्रोध की भावना बढ़ने लगी। वह उसे रोक सकता था किन्तु उसे नहीं रोका। काईन ने उसे बढ़ने दिया। इस भावना के पीछे पाप छिपा था जिसने भाई के प्रति शत्रुता उत्पन्न की। यह जलन और ईर्ष्या जैसी क्षुद्र चीज से शुरू हुई तथा बढ़ती गयी जिसने भाई-भाई के संबंध को तोड़ दिया और उसे नष्ट कर डाला।

क्रोध की भावना ख्रीस्तीयता नहीं है

क्रोध के द्वारा शत्रुता बढ़ती है और जिसका अंत दुखद होता है। इसके द्वारा भाई-भाई नहीं रह जाता, वह दुश्मन प्रतीत होता है जिसको समाप्त करने की इच्छा होती है।

संत पापा ने कहा, ″इस प्रकार शत्रुता परिवार और लोगों को नष्ट कर देता है। काईन के साथ यही हुआ। उसने क्रोध के कारण हाबिल को भाई के रूप में नहीं देख सका। अतः क्रोध ख्रीस्तीय भावना नहीं है। दुख जरूर होता है किन्तु उसे क्रोध में बदलने नहीं देना चाहिए।

भूमि से बहुत सारे लोगों के रक्त ईश्वर को पुकार रहे हैं

संत पापा ने ख्रीस्तयाग में उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि हम पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों के बीच भी कितना विभाजन है जो आपसी भाईचारा की भावना को नष्ट करता है। उन्होंने कहा कि हम में से किसी ने किसी की हत्या नहीं की होगी किन्तु यदि हमारे मन में भाई-बहनों के प्रति बुरी भावना है तब हमने उन्हें मार डाला। जब हम उनका अपमान करते हैं हम उन्हें अपने हृदय में मार देते हैं। हत्या करना एक प्रक्रिया है जिसकी शुरूआत छोटी चीज से होती है।

संत पापा ने अधिकारियों की असंवेदनशीलता पर खेद जताते हुए कहा कि वे अपने को किसी दूसरे क्षेत्र से जोड़ सकते हैं, बम फूटने और 200 बच्चों के मारे जाने पर बम की गलती बता कर अपने को है। इस तरह की भावना हमें असंवेदनशील बनाती है।

भाषा जो दूसरों को मार डालती है

संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर हमें उस सवाल को बार-बार दुहराने में मदद करे, ″तुम्हारा भाई कहाँ है? हमें उन लोगों के बारे सोचने में मदद करे जो जीभ से नष्ट करते तथा दुनिया में वस्तुओं के समान प्रयोग किये जाते हैं क्योंकि भूमि का एक छोटा टुकड़ा भाई-भाई के संबंध से अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है।″


(Usha Tirkey)

फातिमा तीर्थस्थल में संत पापा की यात्रा हेतु प्रतीक चिन्ह

In Church on February 13, 2017 at 4:26 pm

 

वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस फातिमा में माता मरियम के दिव्य दर्शन की शतवर्षीय जयन्ती के अवसर पर, 12 और 13 मई को फातिमा के मरियम तीर्थ की यात्रा करेंगे।

फातिमा मरियम तीर्थ के संचालक तथा संत पापा की फातिमा यात्रा के संयोजक फा. कार्लोस काबेचिन्हास ने प्रतीक चिन्ह के बारे बतलाते हुए कहा, ″प्रतीक चिन्ह द्वारा हम सादगी एवं स्पष्टता को प्रकट करना चाहते हैं जो संत पापा फ्रांसिस की विशेषता है।

प्रतीक चिन्ह का निर्माण फ्रांचेस्को फ्रोविडेंस ने की है जिसमें एक हृदय को दर्शाया गया है जो रोजरी से बना हुआ है, ऊपर एक क्रूस है तथा आदर्शवाक्य है, ″संत पापा फ्राँसिस- फातिमा में 2017″, मोटो के नीचे संत पापा की यात्रा का आदर्शवाक्य लिखा है ″मरियम के साथ, आशा और शांति की यात्रा″ तथा अंत में शतवर्षीय जयन्ती का प्रतीक चिन्ह है।


(Usha Tirkey)

येसु द्वारा संहिता की नई व्याख्या

In Church on February 13, 2017 at 4:24 pm

 

वाटिकन रेडियो, सोमवार, 13 फरवरी 2017 ( सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने 13 फरवरी को अपने  रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनो,

सुप्रभात,

आज का सुसमाचार हमारे लिए पर्वत प्रवचन के एक अन्य अध्याय को प्रस्तुत करता है जिसे हम संत मत्ती रचित सुसमाचार में पाते हैं। (मत्ती.5,17-35) इस अध्याय में येसु अपने वचन सुनने वालों को मूसा द्वारा दी गई संहिता की एक नई व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। पुराने विधान की संहिता में कही गई बातें अपने में सही थीं लेकिन यह पर्याप्त नहीं थीं। येसु संहिता के उन ईश्वरीय नियमों को पूरा करने हेतु आते हैं। येसु संहिता के नियमों की वास्तविकता को एक सच्चे अर्थ में व्यक्त करते और न केवल शिक्षा देते वरन अपनी शिक्षा को वे अपने क्रूस बलिदान के द्वारा पूर्ण करते हैं। संत पापा ने कहा कि वे हमें इस बात की शिक्षा देते हैं कि कैसे ईश्वर की इच्छा को हमें अपने दैनिक जीवन में पूरा करने की माँग की जाती है। प्रेम, सेवा और दया की भावना से प्रेरित होकर हम संहिता के सार को समझे जिससे हम इसके औपचारिक अनुपालन से बचे रहें।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में येसु हमें तीन बातें, तीन नियमों हत्या, व्यभिचार और शपथ के बारे में कहते हैं।

“मनुष्य की हत्या न करना” इस नियम के बारे में अपना व्याख्यान देते हुए येसु कहते हैं कि यह न केवल मनुष्य के प्राण लेना है वरन ऐसा करने से हम व्यक्ति की सम्पूर्ण गरिमा को चोट पहुँचाते हैं न केवल अपने कृत्य बल्कि अपने व्यवहार और वचनों के द्वारा भी। हमारे द्वारा उच्चरित अपमान के शब्द लोगों की जान नहीं लेते लेकिन उसका प्रभाव उसी हद तक होता है क्योंकि हमारे मन-दिल में व्यक्ति के प्रति दुर्भावना व्यक्त होती है। येसु हमें अपनी गलतियों का हिसाब करने को नहीं बल्कि उनके द्वारा दूसरों पर होने वाले हानि के बारे में हमें सतर्क रहने को कहते हैं। वे हमें इसका उदाहरण देते हुए कहते हैं कि हम अपमान से वाकिफ हैं जो हमारे लिए “हलो” कहने-सा प्रतीत होता है। जो अपने भाई का अपमान करता है वह अपने हृदय में उसे मार डालता है। संत पापा ने कहा,“कृपया हम एक-दूसरे को अपमानित न करें इससे हमें कुछ फायदा नहीं होता है।”

दूसरी बात विवाह के संबंधों की चर्चा करता है जहाँ व्यभिचार मानवीय गरिमा को नष्ट कर देती  है। येसु उस बुराई की जड़ तक जाते हैं। वे कहते हैं जिस तरह हम अपमान के द्वारा किसी की हत्या करते हैं उसी तरह यह व्यभिचार के साथ भी है जहाँ हम दूसरों की स्त्रियों को अपना बनाने की चाह या सोच रखते हैं। व्यभिचार, चोरी, भ्रष्टाचार और अन्य पापों की तरह सर्वप्रथम हमारे हृदय की गहराई में जन्म लेती है। एक बार जब यह हमारे हृदय में घर कर जाती तो हम इसे अपने व्यवहार में मूर्त रूप देने का प्रयास करते हैं। इस तरह येसु कहते हैं, “जो अपनी स्त्री को छोड़ कर दूसरे की स्त्री से संबंध स्थापित करने की सोच रखता है वह अपने हृदय में व्यभिचार करता है।”

येसु अपने चेलों को शपथ नहीं खाने को कहते हैं क्योंकि यह हमारे संबंध में एक असुरक्षा और कपट का निशानी को व्यक्त करती है। यह ईश्वर के आधिपत्य का हनन करना है अतः हमें अपने दैनिक जीवन में, अपने परिवार और समुदाय में स्पष्टता और विश्वास को मजबूत करने की जरूरत है जिससे हम अपने जीवन में ईमानदारी की मिसाल पेश कर सकें। हमारे जीवन में अविश्वास और आपसी संदेह हमारे बीच व्याप्त शांति को भंग कर देती है।

माता मरियम जो अपनी नम्रता में खुशी पूर्वक सभी आज्ञाओं का पालन करती हैं हमें भी सुसमाचार के प्रति निष्ठावान बनाये रखें जिससे हम दिखावा हेतु नहीं वरन सच्चा ख्रीस्तीय जीवन जी सकें। यह पवित्र आत्मा में हमारे लिए संभव होता है जो प्रेम में सारी चीजों को करने हेतु हमें प्रेरित करते हैं जिसे ईश्वर की इच्छा पूरी हो सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और फिर
सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए उन्हें रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की और अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।


(Dilip Sanjay Ekka)

विश्व रोगी दिवस पर जीवन के प्रति सम्मान हेतु धर्माध्यक्षों की प्रतिबद्धता

In Church on February 13, 2017 at 4:22 pm

बैंगलोर, सोमवार, 13 फरवरी 2017 (एशियान्यूज़): विश्व रोगी दिवस के अवसर पर जब कलीसिया लूर्द की माता मरियम का त्योहार मनाती है, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों ने रोगियों एवं समाज के सबसे कमजोर लोगों की सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को नवीकृत किया।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के स्वास्थ्य सेवा आयोग के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष प्रकाश मल्लावारापु द्वारा हस्ताक्षरित एक संदेश में धर्माध्यक्षों ने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा है कि इस अवसर पर जीवन के सम्मान की संस्कृति, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को बढ़ावा देने के कार्य में एक नई उत्साह प्राप्त करें।

संत पापा जोन पौल द्वितीय ने विश्व रोगी दिवस की स्थापना की है जिसका इस वर्ष 25वाँ दिवस मनाया गया ताकि प्रार्थना एवं उदार कार्यों द्वारा विश्वासियों को बीमारों की मदद हेतु प्रोत्साहन दिया जा सके।

विश्व रोगी दिवस हेतु संदेश के लिए इस वर्ष संत पापा की विषयवस्तु थी, ″ईश्वर के कार्य के प्रति आश्चर्य : ईश्वर ने मेरे लिए महान कार्य किये हैं।″(लू.1:49)

संत पापा फ्राँसिस के संदेश के प्रेरित धर्माध्यक्ष मल्लावारापू ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया है कि हम माता मरियम के पदचिन्हों पर चलें तथा अपनी आध्यात्मिक शक्ति को नवीकृत करें ताकि ग़रीबों, बीमारों, पीड़ितों, बहिष्कृत एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वालों की सेवा करने के कलीसिया की प्रेरिताई को पूरा कर सकें।

संत पापा ने ट्वीट संदेश में लिखा है, ″मैं आप सभी को प्रोत्साहन देता हूँ कि आप संत मरियम में, निर्बलों के स्वास्थ्य तथा हर इंसान के लिए ईश्वर के प्यार के सच्चे चिन्ह को देखें।″

विशाखापटनम के महाधर्माध्यक्ष ने कहा, ″भारत की काथलिक कलीसिया स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहती है जहाँ, लोग खासकर, गरीब, जरूरतमंद तथा हाशिये पर जीवन यापन करने वाले पहुँच सकें तथा सार्वजनिक कल्याण को बनाये रखा जा सके, साथ ही, दूसरों एवं पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सके।″

पूरे भारत में, 12 से 19 फरवरी तक चंगाई प्रेरिताई सप्ताह होगा। इस बात को ध्यान में रखकर भारत के धर्माध्यक्षों ने विश्वासियों का आह्वान किया है कि वे बीमारों के लिए प्रार्थना एवं सेवा का कार्य करें।


(Usha Tirkey)

संत पापा द्वारा मेजूगोरजे स्थित मरियम तीर्थ के लिए विशेष दूत की नियुक्ति

In Church on February 13, 2017 at 4:21 pm

वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने वारस्ज़ावा प्रागा के महाधर्माध्यक्ष हेनरिक होसेर एस.ए.सी को बोसिना और हेरजेगोविना के मेजूगोरजे मरियम तीर्थ हेतु अपना विशेष दूत नियुक्त किया।

वाटिकन प्रेस वक्तव्य के अनुसार प्रेरिताई हेतु इस नियुक्ति का उद्देश्य है ″मेजूगोरजे में प्रेरिताई की स्थिति को अच्छी तरह समझना ताकि उन विश्वासियों की आवश्यकता को महसूस किया जा सके जो तीर्थ हेतु यहाँ आते हैं और इस समझ के आधार पर भविष्य में प्रेरिताई हेतु संभावित पहल का प्रस्ताव किया जा सके। इस प्रकार, उनके मिशन की प्रकृति विशेष रूप से मेषपालीय होगी।″

पत्रकारों के सवारों का उत्तर देते हुए वाटिकन प्रवक्ता ग्रेग बर्क ने कहा, ″परमधर्मपीठ के विशेष दूत मरियम के दिव्य दर्शन के सवाल में प्रवेश नहीं करेंगे क्योंकि यह कार्य विश्वास के सिद्धांत हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के दायरे में है। महाधर्माध्यक्ष होसेर के मिशन का अर्थ है संत पापा का तीर्थयात्रियों के प्रति चिंता। इसका उद्देश्य जानकारी प्राप्त करना नहीं बल्कि सीधे तौर पर प्रेरितिक है।″

वाटिकन प्रवक्ता ने कहा कि संत पापा के विशेष दूत का सम्पर्क धर्मप्रांतीय धर्माध्यक्ष, मेरोगोरी के पल्ली पुरोहित जिन्हें इस केंद्र की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी है एवं मेजूगोरजे के पल्लिवालियों से बना रहेगा।

जानकारी के अनुसार महाधर्माध्यक्ष होसे वारस्ज़ावा प्रागा के धर्माध्यक्ष के रूप में अपने कार्य को भी जारी रखेंगे जो गर्मी तक जारी रहेगा।


(Usha Tirkey)