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संत पापा फ्राँसिस दवारा शाँति के लिए प्रार्थना

In Church on September 30, 2016 at 3:45 pm


त्बिलीसी, शुक्रवार, 30 सितम्बर, 2016 ( सेदोक) : अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार 30 सितम्बर को जॉर्जिया में स्थानीय समयानुसार 4 बजे पूर्वाहन त्बिलीसी के संत सिमोन बार साब्बाए गिरजाघर में अस्सिरियाई एवं खलदेई काथलिक समुदायों के करीब 300 ख्रीस्तीयों से भेंट की। गिरजाघर के प्रवेश द्वार पर बबिलोन के खलदेई प्राधिधर्माध्यक्ष और पल्ली पुरोहित द्वारा संत पापा फ्राँसिस का स्वागत किया गया। वहाँ उपस्थित ख्रीस्तीयों ने जुलुस में गाना गाते हुए गिरजाघर में संत पापा का स्वागत किया। संत पापा फ्राँसिस ने शाँति हेतु निम्न प्रार्थना की।

हे प्रभु येसु, हम आपके पवित्र क्रूस की आराधना करते हैं जो हर अलगाव व बुराई की जड़ पाप से हमें मुक्त करता है। हम आपके जी उठने की घोषणा करते हैं जो विफलता और मौत की दासता से हर मनुष्य को मुक्त करता है। हम महिमा में आपके आने का इन्तजार करते हैं जिससे न्याय, खुशी और शांति के राज्य की परिपूर्णता होगी।

हे प्रभु येसु, आपने अपने पवित्र दुःखभोग द्वारा, घृणा और स्वार्थ से भरे हमारे दिल की कठोरता को जीत लिया है। अन्याय और दुराचार के शिकार लोगों को उनकी पीड़ा से बचाया है। आपने इस दुनिया में आकर पाप का नाश किया और मृत्यु पर विजय पाई है।

हे प्रभु येसु, अत्याचार सहते ख्रीस्तीयों, कई निर्दोष बच्चों, बूढ़ों और पीड़ितों की पीड़ाओ को अपने क्रूस में सम्मिलित कीजिए। दुर्व्यवहार के शिकार, स्वतंत्रता और गरिमा से वंचित, गंभीर रुप से घायल लोगों के उपर पुनरुत्थान के प्रकाश से आलोकित कीजिए। निर्वासितों, शरणार्थियों, और जीवन से निराश लोग अपने जीवन की अनिश्चितता में आपके राज्य के स्थायी भक्ति का अनुभव करें।

हे प्रभु येसु, युद्ध से प्रभावित लोगों पर आपके क्रूस की छाया पड़े। वे सुलह, संवाद और क्षमा का तरीका अपना सकें। बमबारी से अक्रांत लोग आपके पुनरुत्थान की खुशी का अनुभव कर सकें । इराक और सीरिया को तबाही से उपर उठाईए। अपने बिखरे हुए बच्चों को अपने कोमल छत्र-छाया में एकत्रित कर लीजिए। प्रवासी ख्रीस्तीयों को संभाले रहिए तथा उन्हें विश्वास और प्रेम में संयुक्त बने रहने की कृपा प्रदान कीजिए।

हे कुँवारी मरिया शाँति की रानी, आप तो क्रूस तले खड़ी थी, हमारे पापों के लिए अपने पुत्र से क्षमा की याचना कीजिए। आप जिन्होंने उनके क्रूस विजय और पुनरुत्थान पर कभी संदेह नहीं किया, हमारी आशा और विश्वास को मजबूत कीजिए। आप महिमा में रानी के रूप में सिहासन पर विराजमान हैं, हमें सेवा का मार्ग और प्रेम की महिमा सिखाएँ। आमेन


(Margaret Sumita Minj)

जोर्जिया के सरकारी अधिकारियों से संत पापा की मुलाकात, शांति बनाये रखने की अपील

In Church on September 30, 2016 at 3:43 pm

त्बिलीसी, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 30 सितम्बर से 2 अक्टूबर की अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम पड़ाव, जोर्जिया एवं अज़रबैजान की राजधानी त्बिलीसी स्थित राष्ट्रपति भवन में, वहाँ के राष्ट्रपति जोर्जी मारगवेलाशविली, राजनयिकों, तथा सरकारी एवं सामाजिक अधिकारियों से मुलाकात की।

अपने वक्तव्य में उन्होंने उस देश की यात्रा का सुअवसर देने हेतु ईश्वर को धन्यवाद दिया तथा संत पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों का स्मरण करते हुए जोर्जिया के ख्रीस्तीय समुदाय को लगातार विकसित हो रही जोर्जियाई संस्कृति का बीज कहा जो अब फलने लगी है।

जोर्जिया एवं अज़रबैजान के इतिहास एवं उसके मूल्यों पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा, ″आपके देश का सदियों पुराना इतिहास दिखलाता है कि यह अपनी संस्कृति, भाषा और परम्परा के मूल्यों पर टिका है। यह आपके देश को पूर्णतया एवं खासकर, यूरोपीय सभ्यता के मूल में स्थापित करता है। साथ ही साथ, इसके भौगोलिक स्थिति से स्पष्ट है कि जोर्जिया कुछ हद तक यूरोप एवं एशिया के बीच सेतु है, एक कड़ी जो लोगों के बीच सम्पर्क एवं संबंध को प्रोत्साहित करता है। कई सालों से इसने व्यापार, वार्ता तथा विभिन्न संस्कृतियों के बीच विचारों एवं अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है।″

संत पापा ने देश की आजादी की याद कर कहा, ″जोर्जिया की आजादी की घोषणा के 25 साल गुजर चुके हैं। इस अवधि में जब जोर्जिया ने अपनी स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त किया है तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं का निर्माण किया है, उसे मजबूती प्रदान की है एवं विकास के सबसे समावेशी और प्रामाणिक रास्ते की खोज की है। ये सब कुछ, महान त्याग के बिना सम्भव नहीं था जिसका सामना जनता ने स्वतंत्रता की तीव्र अभिलाषा को पूरा करने के लिए साहस पूर्वक किया है। मैं आशा करता हूँ कि शांति एवं विकास का रास्ता समाज के सभी लोगों की संयुक्त प्रतिबद्धता द्वारा आगे बढ़ेगा तथा स्थिरता, न्याय तथा कानून के प्रति सम्मान की भावना विकसित होगी। इस प्रकार सभी के लिए विकास एवं अवसर को प्रोत्साहन मिलेगा।

जनता एवं राज्यों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, क्षेत्र में प्रामाणिक और स्थायी प्रगति के लिए अपरिहार्य एवं प्रथम शर्त है जो एक-दूसरे को सम्मान एवं महत्व दिये जाने की मांग करता है और जो अंतरराष्ट्रीय कानून के ढांचे के भीतर, हर देश के संप्रभु अधिकारों के लिए सम्मान को कभी अलग नहीं रखता। इस प्रकार, स्थायी शांति और सच्चे सहयोग की ओर ले जाने वाले मार्ग को  तैयार किया जा सकेगा। राष्ट्रों में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए हमें राज्यों के बीच न्यायपूर्ण एवं स्थायी रिश्तों के लिए प्रासंगिक सिद्धांतों की याद करनी होगी।

संत पापा ने सबसे बढ़कर मानव प्राणी को प्राथमिकता देने की सलाह देते हुए कहा, ″हमें पूर्ण हृदय से मानव प्राणी एवं उनकी वास्तविक परिस्थिति को प्राथमिकता देनी होगी तथा हिंसा को बढ़ावा देने वाली विविधताओं के प्रलोभन में पड़ने से बचना होगा। लोगों के बीच एवं समाज में जो विनाशकारी परिस्थिति उत्पन्न करता है शोषित किये जाने, कलह का संघर्ष में तथा संघर्ष का अनन्त त्रासदी में परिणत हो जाने से दूर, जाति, भाषा, राजनीति अथवा धर्म के हर विभाजन सार्वजनिक हित के पक्ष में सभी के लिए आपसी समृद्धि का एक स्रोत बन सकता है। यह मांग करता है कि प्रत्येक अपनी पहचान, सम्भवनाओं और उन सब से बढ़कर, अपनी मातृभूमि में शांति पूर्ण सहअस्तित्व के साथ जीवन यापन करे। अथवा स्वतंत्र रूप से अपनी मातृभूमि में लौट सके यदि किसी कारण से वह उसे छोड़ने के लिए मजबूर था।

संत पापा सरकारी अधिकारियों से आग्रह करते हुए कहा, ″मैं आशा करता हूँ कि सरकारी अधिकारी अनसुलझे राजनीतिक सवालों के बावजूद ऐसी परिस्थिति में भी लोगों का ख्याल रखें तथा ठोस समाधान ढूँढ़ने हेतु पूर्ण रूपेन समर्पित हों। यह दूरदर्शिता तथा लोगों की प्रमाणिक अच्छाई को पहचानने के साहस की मांग करता है जो दृढ़ संकल्प और विवेक के साथ उसका पालन करने के द्वारा सम्भव है। इस तरह यह आवश्यक है हम हमारी नजरों के सामने दूसरों की पीड़ा को रखें ताकि दृढ़ता के साथ उस रास्ते पर आगे बढ़ सकें जो धीमी और श्रमसाध्य होने के बावजूद आकर्षक एवं स्वतंत्र है एवं शांति की ओर ले चलता है।

संत पापा ने स्थानीय काथलिक कलीसिया की सराहना करते हुए कहा कि यह इस देश में सदियों से उपस्थित है तथा मानव विकास एवं उदार कार्यों के प्रति समर्पण की अपनी खासियत को बनाये रखी है, जोर्जिया के लोगों के सुख-दुःख में शामिल है, देश के कल्याण एवं शांति के लिए अधिकारियों एवं समाज के लोगों को अपना बहुमूल्य योगदान देने हेतु कृतसंकल्प है।

संत पापा ने जोर्जिया की काथलिक कलीसिया से आग्रह किया कि वे जोर्जियाई समाज के विकास हेतु अपने सच्चा सहयोग को जारी रखे। उन्होंने ख्रीस्तीय परम्परा का साक्ष्य देने के लिए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की जिसके द्वारा जरूरतमंद लोगों की मदद हेतु एकता एवं समर्पण को प्रोत्साहन मिलती है जो देश की प्राचीन जोर्जियाई ऑर्थोडॉक्स कलीसिया तथा अन्य धार्मिक समुदायों के बीच वार्ता को नवीकृत तथा बलिष्ठ करता है। संत पापा ने जोर्जिया के लिए ईश्वर के आशीर्वाद एवं शांति की याचना की।


(Usha Tirkey)

जोर्जिया एवं अज़रबैजान में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा शुरू, पृष्ठभूमि

In Church on September 30, 2016 at 3:40 pm

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 30 सितम्बर सन् 2016 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार 30 सितम्बर को रोम के फ्यूमीचीनो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से, स्थानीय समयानुसार प्रातः नौ बजे जोर्जिया एवं अज़रबैजान में अपनी तीन दिवसीय यात्रा के लिये रवाना हुए। चार घण्टों की विमान यात्रा के उपरान्त आलइतालिया का ए-321 विमान जोर्जिया की राजधानी त्बिलीसी पहुँचा। रविवार सन्ध्या को समाप्त होनेवाली जोर्जिया एवं अज़रबैजान की प्रेरितिक यात्रा इन देशों में सन्त पापा फ्राँसिस की पहली तथा इटली से बाहर उनकी 16 वीं प्रेरितिक यात्रा है।

पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप के चौराहे पर स्थित जॉर्जिया यूरेशिया के काओकासुस क्षेत्र में बसा   एक देश है। पश्चिम में काला सागर, उत्तर में रूस, दक्षिण में तुर्की और आर्मेनिया तथा दक्षिण पूर्व में अज़रबैजान की सीमाओं से संलग्न जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी है। 2015 में प्रकाशित आँकड़ों के मुताबिक देश की कुल आबादी लगभग 45 लाख है। जॉर्जियानो भाषा के अलावा यहाँ आरमेनियाई तथा रूसी भाषाएँ बोली जाती हैं। जॉर्जिया की 84 प्रतिशत जनता जॉर्जियाई ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है। 10 प्रतिशत इस्लाम धर्मानुयायी, 2.9 प्रतिशत आरमेनियाई ख्रीस्तीय, 1 प्रतिशत से भी कम काथलिक धर्मानुयायी तथा शेष लोग यहूदी एवं प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय  हैं।

सन् 1921 ई. से सोवियत रूस के अधीन रहनेवाला जॉर्जिया अप्रैल सन् 1991 में गणतंत्र रूप में स्थापित हुआ था किन्तु सम्पूर्ण 90 के दशक में जॉर्जिया नागर एवं आर्थिक समस्याओं से जूझता रहा है। 2008 में रूस के साथ दक्षिण ओसेतिया प्रान्त को लेकर छिड़े युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार हैं।

सन्त अन्द्रेयस के सुसमाचार प्रचार के परिणामस्वरूप जॉर्जिया में ख्रीस्तीय धर्म का सूत्रपात पहली शताब्दी में हुआ। बताया जाता है कि जॉर्जिया की प्राचीन राजधानी मित्सकेथा के कुछेक यहूदियों ने पहली शताब्दी में ही पवित्र अवशेष रूप में प्रभु येसु ख्रीस्त का अंगरखा जैरूसालेम से लाकर जॉर्जिया में सुरक्षित रख दिया था तथा देश को पवित्र कुँवारी मरियम के संरक्षण के सिपुर्द कर दिया था। बाद में साईप्रस, सिरिया, आरमेनिया तथा ग्रीस से भी ख्रीस्तीय मिशनरी जॉर्जिया पहुँचे और सन् 330 ई. में ख्रीस्तीय धर्म को जॉर्जिया का राज्य धर्म घोषित कर दिया था।

आधुनिक इतिहास पर यदि दृष्टि डालें तो सन् 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से जॉर्जिया के नागरिकों को पुनः धार्मिक स्वतंत्रता मिली तथा गिरजाघरों में प्रार्थना अर्चना का पुनराम्भ हो सका। सन् 1993 में जॉर्जिया में काथलिक धर्मानुयायियों की सेवा हेतु काओकासो के प्रेरितिक प्रशासन की स्थापना की गई थी। सन् 1996 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने काथलिक पुरोहित फादर जोसफ पास्सोत्तो को प्रेरितिक शासक नियुक्त किया था।

जॉर्जिया में हालांकि काथलिकों की संख्या केवल एक लाख बारह हज़ार ही है तथापि काथलिक कलीसिया विश्वव्यापी उदारता संगठन कारितास आदि के माध्यम से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार एवं समाज कल्याण केन्द्रों द्वारा जॉर्जिया की जनता की सेवा कर रही है।

अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार एवं शनिवार का दिन जॉर्जिया में व्यतीत कर रहे हैं तथा रविवार को अज़रबैजान के दौरे से इस यात्रा का समापन कर रहे हैं। जॉर्जिया में राष्ट्रपति से औपचारिक मुलाकात के उपरान्त वे जॉर्जियाई ऑर्थोडोक्स कलीसिया के आध्यात्मिक गुरु प्राधिधर्माध्यक्ष इलिया द्वितीय से मुलाकात करेंगे तथा अस्सिरियाई एवं खलदेई काथलिक समुदायों की भेंट करेंगे। शनिवार, पहली अक्टूबर का दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने जॉर्जिया के काथलिकों के लिये सुरक्षित रखा है। त्बिलीसी के मिखाएल स्टेडियम में देश के काथलिक धर्मानुयायियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित करने के साथ-साथ सन्त पापा काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों को अपना सन्देश देंगे तथा अनेकानेक काथलिक लोकोपकारी संगठनों में सेवारत स्वयंसेवकों से मुलाकात करेंगे।

रविवार, 02 अक्टूबर को सन्त पापा फ्रांसिस अज़रबैजान का रुख कर रहे हैं जो एक मुसलमान बहुल देश है, काथलिकों की संख्या यहाँ मात्र 57,000 है। भौगोलिक स्तर पर अज़रबैजान काओकासुस के पूर्वी भाग का एक गणराज्य है जो पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य बसा हुआ है। आर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान और तुर्की इसके सीमांत देश है तथा इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगा हुआ है। जॉर्जिया की तरह ही अज़रबैजान भी सन् 1991 तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था।

अज़रबैजान में सन्त पापा फ्राँसिस देश के छोटे से काथलिक समुदाय के लिये बाकू में ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे तथा क्षेत्र के प्रधान ईमाम, बाकू के ऑरथोडोक्स धर्माध्यक्ष तथा राष्ट्र के यहूदी समुदाय के प्रधान रब्बी से मुलाकातें करेंगे। मीडिया का अनुमान है कि अज़रबैजान के राष्ट्रपति से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा नागरनो-काराबाख के संघर्ष के मुद्दे को भी उठायेंगे। आधिकारिक रूप से नागरनो-काराबाख अज़रबैजान का अभिन्न अंग है किन्तु सन् 1994 में समाप्त हुए अलगाववादी युद्ध के बाद से यह स्थानीय आरमेनियाई लोगों के अधीन है। अज़रबैजान का कहना है कि ये स्थानीय आरमेनियाई न होकर आरमेनियाई सेना के लोग हैं। सन् 1994 के युद्ध में सैकड़ों नागरिकों के अलावा दोनों पक्षों की ओर कम से कम 75 सैनिक मारे गये थे।

विगत 26 जून को आरमेनिया में अपनी यात्रा सम्पन्न करने के उपरान्त विमान पर पत्रकारों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा था कि वे अज़रबैजान से शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह करेंगे। दो अक्टूबर को जॉर्जिया तथा अज़रबैजान में अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी कर सन्त पापा फ्राँसिस रविवार देर सन्ध्या पुनः रोम लौट रहे हैं।


(Juliet Genevive Christopher)

संत पापा फ्राँसिस जोर्जिया और अजरबैजान की प्रेरितिक यात्रा हेतु रवाना

In Church on September 30, 2016 at 3:38 pm

वाटिकन रेडिय़ो, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2016 (वी आर) संत पापा फ्राँसिस आज वाटिकन स्थानीय समय के अनुसार नौ बजे प्रातः रोम के फ्युमीचीनो हवाई अड्डे से अपने तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा हेतु जोर्जिया और अजरबैजान के लिए रवाना हुए।

वे जार्जिया स्थानीय समय के अनुसार दोपहर के तीन बजे जार्जियाना राजधानी त्बिलिसी पहुँचे। वहां अपने स्वागत उपरान्त वे शिष्टाचार के मद्दे नजर जार्जिया के राष्ट्रपति, सरकारी अधिकारियों और राजनायिकों से मुलाकात की। संत पापा की जार्जिया और अजरबैजान की प्रेरितिक यात्रा 2 अक्टुबर तक चलेगी।

 


(Dilip Sanjay Ekka)

जार्जिया और अजरबैजान की यात्रा पर कार्डिलन पियेत्रो पारोलीन का मंतव्य

In Church on September 30, 2016 at 3:36 pm

वाटिकन रेडियो शुक्रवार 30 अक्टुबर 2016 (वी आर) संत पापा की जार्जिया और अजरबैजान की तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा का मूल उद्देश्य  विश्व के अशांत क्षेत्रों में शांति और एकता की स्थापना करना है उक्त बातें वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने कही।

वाटिकन दूरदर्शन केन्द्र को दिये अपने साक्षात्कार के दौरान बारबरा कास्तेलो से अपनी वार्ता में उन्होंने कहा कि इस सप्ताह के अंत में हो रहे काकेशस की तीर्थ यात्रा संत पापा द्वारा इस वर्ष जून के महीने में अरमीनिया से शुरू की गई तीर्थ यात्रा का अंतिम पड़ाव है। उन्होंने कहा कि संत पापा इन दोनों देशों की यात्रा “एक मित्र” की तरह लोगों से मुलाकात करते हुए करेंगे जो देश में शांति, मेल-मिलाप और एकता को बढ़ावा देने हेतु अति आवश्यक है। जार्जिया की मुसीबतों के बारे में पूछे गये सवाल के उत्तर में कार्डिनल पारोलीन ने प्रवासी मुद्दों के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि जार्जिया में मध्य पूर्वी युद्ध ग्रस्त देशों के प्रवासी शरणार्थी के रुप में हैं जबकि देश में युद्ध की स्थिति के कारण असंख्य लोगों को अपने ही देश से निर्वासित होना पड़ा है।


(Dilip Sanjay Ekka)

ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठन के सदस्यों से संत पापा की मुलाकात

In Church on September 29, 2016 at 3:34 pm

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया के कल्याणकारी कार्यों का समन्वय करने वाली वाटिकन स्थित कोर उनुम समिति के तत्वधान में आयोजित, ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठनों के 100 सदस्य से 29 सितम्बर को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की।

उनका अभिवादन करते हुए संत पापा ने उन्हें सीरिया एवं ईराक संकट की पृष्ठभूमि पर कलीसिया के कार्यों पर चिंतन करने हेतु धन्यवाद दिया।

संत पापा ने पिछली मुलाकात से लेकर आज तक की स्थिति का अवलोकन करते हुए कहा कि यह अत्यन्त दुःखद है कि कई क्षेत्रों में अनेक प्रयासों के बावजूद इन देशों में, हथियार तथा शोषण एवं हिंसा जारी है। अभी भी, दुःख एवं मानव अधिकार के हनन पर रोक नहीं लगाया जा सका है और जिसका गंभीर परिणाम है विस्थापन। हिंसा से हिंसा उत्पन्न होती है और हम अहंकार की कुंडली तथा जड़ता के घेरे में बंद कर दिये जाते हैं जहाँ से कोई निकासी नहीं दिखाई देता। बुराई जो अंतःकरण एवं इच्छा को जकड़ लेती है, संत पापा ने कहा कि उस पर सवाल किया जाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति, मनुष्य, सम्पति तथा पर्यावरण को अनकहे हानि की कीमत के बावजूद झूठ, बदले की भावना तथा हिंसा का पीछा करना जारी रखता है। संत पापा ने कहा कि व्यक्ति एवं इतिहास में उपस्थित बुराई से उसे मुक्ति दिलाये जाने की आवश्यकता है। अतः हम इस वर्ष ख्रीस्त पर अपनी निगाहें टिकायें हुए हैं जो करुणा के ठोस रूप हैं जिन्होंने पाप एवं मृत्यु पर विजय पायी है।

संत पापा ने सीरिया एवं ईराक में हिंसा के शिकार लोगों की याद कर कहा, ″सीरिया, ईराक तथा इनके पड़ोसी देशों में कई पीड़ित चेहरों को देखते हुए जो शरण एवं सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं उनमें कलीसिया दुःख भोग रहे प्रभु को देखती है।″

संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों से कहा कि उन्हीं की तरह जो लोग सहायता करने एवं उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करने हेतु समर्पित हैं वे निश्चय ही, ईश्वर की करुणा को प्रकट करते हैं। एक चिन्ह को कि बुराई की सीमा है तथा यह अंतिम शब्द नहीं है। यह आशा का महान चिन्ह है जिसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। संत पापा ने करुणा के जयन्ती वर्ष में संघर्ष के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी, विशेषकर, बच्चों एवं बीमार लोगों के लिए।

संत पापा ने प्रतिभागियों को दूसरी आवश्यक बात बतलाते हुए कहा कि आवश्यक मानवीय सहायता से बढ़कर, सीरिया एवं ईराक में हमारे भाई-बहनों को शांति की बहुत आवश्यकता है। जिसकी मांग उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कई बार की है। संत पापा ने उन्हें शांति निर्माता बनने की सलाह दी क्योंकि हिंसा एवं अन्याय की हर परिस्थिति समस्त मानव परिवार के शरीर में एक घाव है। उन्होंने ईश्वर से शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया ताकि ईश्वर राजनीतिक नेताओं को प्रेरित करे जिससे कि वे व्यक्तिगत लाभ का त्याग महान अच्छाई शांति के खातिर कर सकें।

संत पापा ने ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठनों की सभा की सार्थकता बतलाते हुए कहा कि यह एक रास्ता है जिसपर धीरजपूर्वक एक साथ आगे बढ़ा जा सकता है यह एक बहुत ही आवश्यक बात है और कलीसिया इसके द्वारा अपना सहयोग देना जारी रखेगी।

अंततः संत पापा ने मध्य पूर्व के ख्रीस्तीय समुदाय की याद की जो हिंसा के परिणाम झेल रहे हैं तथा भविष्य को भय के साथ देखते हैं। संत पापा ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि इस घोर अंधकार के बीच भी वे विश्वास, आशा एवं उदारता के दीपक को धारण किये हुए हैं तथा साहस के साथ बिना भेदभाव के पीड़ित लोगों की सहायता एवं शांति का निर्माण करते हैं। उन्हें विश्वव्यापी कलीसिया द्वारा सराहे जाने, कृतज्ञता अर्पित किये जाने एवं समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है।

संत पापा ने संकट के शिकार लोगों की मदद हेतु कार्य करने वाले सभी सदस्यों को दया और उदारता की आदर्श कलकत्ता की संत तेरेसा के चरणों तले सिपुर्द की।


(Usha Tirkey)

सामाजिक संप्रेषण दिवस विषय पर संचार के सचिवालय से वक्तव्य

In Church on September 29, 2016 at 3:32 pm

वाटिकन, सिटी, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): सामाजिक सम्प्रेषण हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति ने बृहस्पतिवार 29 सितम्बर को, 2017 के लिए विश्व संप्रेषण दिवस की विषयवस्तु की घोषणा की।

विश्व संप्रेषण दिवस हेतु आगामी विषयवस्तु होगी, ″डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ। (इसा.43:5) हमारे समय में आशा एवं विश्वास का प्रचार।″

सामाजिक संप्रेषण दिवस पर दिये गये वक्तव्य में वाटिकन संचार के सचिवालय ने कहा, ″विवेक की शून्यता अथवा मायूसी को अपने बीच स्थान देना, ये दो संभावनाएँ हैं जिनके द्वारा आज संचार प्रणाली रोगग्रस्त हो सकती हैं। जैसा कि संत पापा कहते हैं यह सम्भव है कि पेशे की भावना, नेता उन्मुख विचार एवं शहरी केंद्रित हो जाने के कारण हमारा अंतःकरण शून्य हो सकता है, गरीब एवं आवश्यकता में पड़े लोगों से हमारा ध्यान हट सकता है और लोगों के द्वारा झेली जा रही जटिलताओं को नजरंदाज करने के कारण हम उनसे दूर चले जा सकते हैं।कहा गया कि मायूसी तब भी आ सकती है जब संचार पर बहुत ध्यान दिया जाए तथा यह लोगों के लिए कौतूहल का कारण बन जाय।

वक्तव्य में कहा गया है कि इस कोलाहल के बीच भी एक दबी आवाज सुनाई देती है, ″डरो मत मैं तुम्हारे साथ हूँ। (इसा.43:5) अपने पुत्र द्वारा ईश्वर प्रत्येक मानव परिस्थिति में अपनी एकात्मता व्यक्त करते हैं तथा यह प्रकट करते हैं कि हम अकेले नहीं हैं क्योंकि हमारे एक पिता हैं जो अपने पुत्र-पुत्रियों को कभी नहीं भूलते। जो लोग ख्रीस्त के साथ संयुक्त होकर जीते हैं वे अंधकार एवं मृत्यु के बीच भी प्रकाश एवं जीवन के लिए स्थान प्राप्त करते हैं। हर घटना में वे यह देखने का प्रयास करते हैं कि ईश्वर और मानवता के बीच क्या हो रहा है, यह समझने के लिए की किस तरह, इस दुनिया की नाटकीय परिदृश्य के द्वारा वे मुक्ति का इतिहास लिख रहे हैं। ख्रीस्तीयों के पास लोगों को बतलाने के लिए सुसमाचार है क्योंकि हम ईश राज्य की आशा पर सच्चाई से चिंतन करते हैं।″

वक्तव्य में बतलाया गया है कि, ″आगामी विश्व संप्रेषण दिवस की विषयवस्तु एक निमंत्रण है यह बतलाने के लिए कि विश्व का इतिहास तथा स्त्री एवं पुरुषों का इतिहास सुसमाचार के तर्क के अनुरूप है जो स्मरण दिलाता है कि ईश्वर का पितृत्व का गुण किसी परिस्थिति एवं व्यक्ति के लिए कभी समाप्त नहीं होता अतः आइये, हम इतिहास के प्रति निष्ठा एवं आशा का प्रचार करना सीख़ें।″

 


(Usha Tirkey)

राष्ट्रपति पेरेज़ के निधन पर संत पापा का शोक संदेश

In Church on September 29, 2016 at 3:31 pm

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने इसराइल के पूर्व राष्ट्रपति शिमोन पेरेज़ के निधन की खबर सुन शोक व्यक्त करते हुए वहाँ के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट की। 93 साल की आयु में बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया।

संत पापा ने तार संदेश में कहा, ″मैं वाटिकन में पेरेस के साथ बीताये क्षण को सप्रेम याद करता हूँ तथा शांति स्थापना हेतु उनके अथक प्रयासों की सराहना करता हूँ।″

8 जून 2014 को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन की वाटिका में प्रार्थना सभा का आयोजन किया था जहाँ राष्ट्रपति पेरेज़ तथा फिलीस्तीन के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्बास भी उपस्थित थे। प्रार्थना सभा संत पापा की पवित्र भूमि में प्रेरितिक यात्रा (मई 2014) के दौरान राष्ट्रपति के स्वागत के कुछ ही दिनों बाद आयोजित की गयी थी।

संत पापा से राष्ट्रपति पेरेज़ की मुलाकात पहले ही 30 अप्रैल 2013 को भी वाटिकन में हो चुकी थी। वे पुनः 2014 से सितम्बर माह में मिले थे तथा 20 जून 2016 को अंतिम बार मिले।

संत पापा ने संदेश में कहा, ″जब इस्राएल मिस्टर पेरेज़ के लिए शोक मना रहा है मैं आशा करता हूँ कि उनकी याद तथा कई सालों तक उसकी सेवा, लोगों के बीच मेल-मिलाप तथा शांति के लिए उनसे भी बढ़कर काम करने हेतु हमें प्रेरणा प्रदान करे।″

उन्होंने कहा, ″इस तरह उनकी विरासत सचमुच सम्मानित होगी तथा सार्वजनिक भलाई जिसके लिए उन्होंने तत्परता पूर्वक कठिन काम किया, जब मानव चिरस्थायी शांति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, उसे नयी अभिव्यक्ति मिलेगी। सभी शोकित जनों के लिए मेरी प्रार्थनाओं का आश्वासन देती हूँ, विशेषकर, पेरेज़ के परिवार के लिए मैं देश पर सांत्वना एवं शक्ति हेतु दिव्य आशीर्वाद की कामना करता हूँ।″


(Usha Tirkey)

कलीसिया तथा सरकार द्वारा नशा उन्मूलन अभियान

In Church on September 29, 2016 at 3:29 pm

कागायन डे ऑरो, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (एशियान्यूज़): दक्षिण फिलीपींस स्थित कागायन डे ऑरो महाधर्मप्रांत ने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर मादक पदार्थों की लत में पड़े लोगों की मदद हेतु एक अभियान जारी किया है।

कागायन डे ऑरो के महाधर्माध्यक्ष अंतोनियो लेदेस्मा ने कहा कि कलीसिया उन्हें आध्यात्मिक समर्थन प्रदान करेगी यद्यपि इस तरह के कार्यक्रम के लिए उसके पास उपकरण नहीं हैं। उन्होंने मादक पदार्थों का व्यापार करने वालों को दण्ड दिये जाने की मांग की।

चुनाव अभियान में राष्ट्रपति रोडरिगो दुतेरते  ने वादा किया था कि चुनाव में जीत जाने पर वे नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ अपनायेंगे।

एशियान्यूज़ के अनुसार ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ के तहत 3,000 लोगों की जानें जा चुकी हैं जबकि कुछ सामाजिक दलों का कहना है कि मरने वालों की संख्या इसका दो गुणा है। उन पुलिसों तथा सुरक्षा बलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है जो बहुधा अंजान लोगों पर गोली चलाते हैं। राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख ने अपील की है कि दंड-मुक्ति के रूप में नशीली पदार्थों के मालिकों के घर को भी आग के हवाले कर दिया जाए, इस दृष्टिकोण से कि जो लोग इस बुरी आदर के शिकार हैं उन्हें सज़ा न मिले।

महाधर्माध्यक्ष लेडेस्मा ने कहा कि मादक पदार्थ रहित समाज के गठन द्वारा ही कागायन डे ऑरो शहर, स्वास्थ्य विभाग तथा विभिन्न नागरिक समाज समूहों का निर्माण हुआ है ताकि लोगों में नशीली पदार्थों की हानि के प्रति जागरूकता तथा जो इसके लत में फंसे हैं उन्हें छुटकारा दिया जा सके।

उन्होंने कहा कि गठबंधन की वकालत के तीन मुख्य भाग हैं, प्रतिबंध, हस्तक्षेप तथा समुदाय का समर्थन। जिसमें कलीसिया ‘समुदाय के समर्थन’ में हिस्सा लेगी क्योंकि उनके पास पुनर्वास हेतु वैज्ञानिक उपकरणों का अभाव है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि हम समुदाय को समर्थन इन उपायों द्वारा दे सकते हैं जैसे, परामर्श, आध्यात्मिक चंगाई तथा पल्ली के सभागारों एवं शिक्षण केंद्रों आदि की सुविधा उपलब्ध करा कर। उन्होंने कहा कि हम एक अपराध को रोकने के लिए दूसरा अपराध नहीं कर सकते हैं।

कार्डिनल लुईस ताग्ले ने कहा कि कलीसिया नशीली पदार्थों के लत में पड़े लोगों की चंगाई हेतु अपनी सुविधाओं को प्रस्तुत करते हुए उन्हें नशा के सेवन से दूर रहने का आग्रह करती है। उनके अनुसार ″गैरकानूनी वस्तुओं की बिक्री तथा युवाओं को बुरी लत में डालना हत्या का दूसरा रूप है।

उन्होंने कहा कि इन सब के बावजूद अपराधियों के साथ पेश आते समय हमारा प्रयास ऐसा होना चाहिए कि वे नया जीवन प्राप्त कर सकें तथा अपने पैरों पर पुनः खड़े हो सकें।


(Usha Tirkey)

कलीसिया के प्रतिनिधियों ने किसानों के हित प्रधानमंत्री से मुलाकात की

In Church on September 29, 2016 at 3:27 pm

कोची, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (ऊकान): केरल स्थित काथलिक समुदाय के प्रतिनिधियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हुए राज्य के पहाड़ी क्षेत्र के गाँवों जहां सरकार एक संरक्षण परियोजना की योजना बना रही है, उसकी रक्षा के लिए, उनके हस्तक्षेप की मांग की।

कलीकट के धर्माध्यक्ष वार्गिस काक्कालाकाल के नेतृत्व में प्रतिनिधियों के एक दल ने 24 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उस समय मुलाकात की जब वे हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हेतु केरल आये हुए थे। चार सदस्यों वाली इस काथलिक प्रतिनिधि मंडल की मुख्य मांग थी केरल का पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र जहाँ केंद्र सरकार, संरक्षण की एक योजना को लागू करना चाहती है वहाँ किसानों लोगों के अधिकारों की रक्षा।

परियोजना के तहत कृषि कार्य पर रोक लग जायेगी तथा लोगों के रहने हेतु आवास के निर्माण पर भी पाबंदी लगायी जायेगी। कलीसिया के सदस्यों का कहना है कि वन के करीब पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों के कारण लगभग 2.5 लाख किसानों जिनमें अधिकतर ख्रीस्तीय हैं उनके सामान्य जीवन पर गहरा असर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि ″हम पश्चिमी घाट की परिस्थितिकी की सुरक्षा के विरूद्ध नहीं हैं। हम इसे उन लोगों को ध्यान में रखते हुए लागू किये जाने की मांग करते हैं जो स्थायी रूप से पीढ़ियों से वहाँ रह रहे हैं। किसान पर्यावरण के महत्व को समझते हैं क्योंकि उनका भविष्य पर्यावरण पर ही निर्भर करता है।″

ऊका समाचार के अनुसार कलीसिया के धर्मगुरूओं ने प्रभावित क्षेत्र के 123 गाँवों का प्रतिनिधित्व किया।

ज्ञात हो कि केरल राज्य एक काथलिक बहुल क्षेत्र है जिसकी एक बड़ी संख्या तटीय इलाकों में निवास करती है। कलीसिया के नेता इस बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र मानते हुए, छूट की मांग कर रहे हैं। इस मुलाकात में उन्होंने राज्य के किसानों की कई अन्य समस्याओं को भी सामने रखा। उन्होंने दलित ख्रीस्तीयों के प्रति भेदभाव एवं देश के अन्य भागों में ख्रीस्तीयों पर हो रहे अत्याचार की बात से भी प्रधानमंत्री को अवगत कराया तथा उस पर नियंत्रण कराये जाने की अपील की।


(Usha Tirkey)