इटालियन पुरोहित “टाइम फॉर बुक्स” नामक कार्यक्रम के लिए भी याद किये जाते हैं।
अपने वीडियो संदेश में संत पापा ने डॉन मिलानी को एक विश्वासी, कलीसिया के लिए प्यार एवं समर्पित तथा स्कूल के जुझारु और दार्शनिक शिक्षक कहा।
संत पापा ने कहा कि स्कूल जाने का मतलब अपने पहलुओं की समृद्धि के लिए, इसके आयाम की वास्तविकता के लिए मन और दिल को खोलना है।
संत पापा ने कहा कि डॉन मिलानी ने एक आध्यात्मिक आतुरता दिखायी थी। उन्होंने मसीह, सुसमाचार, कलीसिया, समाज और स्कूल के लिए प्यार को प्रज्वलित किया है। उन्होंने स्कूल कैम्पस को एक अस्पताल के समान देखा था जहाँ समाज द्वारा चोट खाये घायलों की चिकित्सा की जा सके और हाशिये पर जीवन बिताने वालों की जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए मदद मिल सके।
गौरतलब है कि तोस्काना प्रांत के फ्लोरेंस में डॉन मिलानी का जन्म 27 मई सन् 1923 ई को एक गैर-ख्रीस्तीय परिवार में हुआ था वे बारबियाना के पल्ली पुरोहित थे तथा बारबियाना स्कूल में पढ़ाते थे। दुर्भाग्य से 44 वर्ष की उम्र में ही 26 जून 1967 को उनकी मृत्यु हो गई।
(Margaret Sumita Minj)