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एकता हेतु एक साथ आगे बढ़े, करिस्मटिक दल से, संत पापा

In Church on June 3, 2017 at 2:59 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): पेंतेकोस्त महापर्व की पूर्व संध्या 3 जून को संत पापा फ्राँसिस रोम के चिरको मासिमो में जागरण प्रार्थना का नेतृत्व करेंगे।

इस जागरण प्रार्थना में विश्व भर से आये कारिस्मटिक दल के हजारों सदस्य भाग लेंगे जो काथलिक करिस्मटिक नवीनीकरण के 50 साल पूरा होने का उत्सव मना रहे हैं।

संत पापा ने आज प्रातः उनसे मुलाकात की तथा उन्हें सम्बोधित भी किया। उन्होंने करिस्मटिक दल के सदस्यों से कहा, ″ख्रीस्तीयों की एकता हेतु कार्य करते हुए उन्हें पवित्र आत्मा से संचालित होना आवश्यक है जो विभाजन को सौहार्द में बदल देता है।″

संत पापा ने सदस्यों को उनके कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, ″आपके इस कार्य के लिए धन्यवाद, आप प्रभु की इच्छा अनुसार ख्रीस्तीय एकता हेतु कार्य कर रहे हैं। आइये हम एक साथ चलें, गरीबों की मदद मिलकर करें, उदारता पूर्वक एक साथ शिक्षा दें। बिना रूके आगे बढ़ते जाएँ।″

संत पापा ने कहा कि आज चिको मासिमो में पेंतेकोस्त जागरण प्रार्थना में करिस्मटिक दल के हजारों सदस्य भाग लेंगे जो इस बात के महत्व को प्रकट करता है कि 50 साल पहले इसकी स्थापना हुई थी।

कार्डिनल ओडिलो शेरेर ने पत्रकारों से कहा कि करिस्मटिक आंदोलन की उपस्थिति 50 सालों से कलीसिया में है जिसके अच्छे फल आज हम देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये 50 सालों में परिपक्व हो चुका है इस आंदोलन ने एक नयी भावना को लाया है, कई ख्रीस्तीयों के लिए नई तत्परता को, अनेक ख्रीस्तीयों को जो कलीसिया से दूर थे वापस लाया है। इस आंदोलन के द्वारा उन्होंने अपने विश्वास को पुनः प्राप्त किया तथा कलीसिया की सदस्यता प्राप्त की है और आनन्द पूर्वक अपने विश्वास को जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन ने कलीसिया में कई अच्छी चीजों को लाया है।


(Usha Tirkey)

संत पापा ने ‘पोन्टिफिकल मिशन सोसाईटी’के सदस्यों से मुलाकात की

In Church on June 3, 2017 at 2:56 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 3 जून को ‘पोन्टिफिकल मिशन सोसाईटी’ की आमसभा में भाग ले रहे प्रतिभागियों से मुलाकात की।

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″आप पोंटिफिकल मिशन सोसाईटी के बारे मेरी चिंता से परिचित हैं जिसे अकसर संत पापा के नाम पर जरूरतमंद कलीसियाओं की आर्थिक मदद हेतु इकट्ठा एवं वितरण करने वाले एक संगठन तक ही सीमित कर दिया जाता है। मैं जानता हूँ कि आप नये रास्तों की खोज कर रहे हैं जो अधिक उपयुक्त तथा विश्वव्यापी कलीसिया के मिशन में मददगार सिद्ध हो सकेगा।

सुधार के रास्ते पर संत पापा ने यूगांडा के संत कार्लो ल्वांगा की मध्यस्तता द्वारा प्रार्थना करने की सलाह दी।

संत पापा ने नवीनीकरण के आवश्यक तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″नवीनीकरण, मन-परिवर्तन तथा मिशन को ख्रीस्त की घोषण के स्थायी अवसर के रूप में जीने की मांग करता है। उसे साक्ष्य देने योग्य बनाने एवं ख्रीस्त के साथ हमारे व्यक्तिगत मुलाकात में दूसरों को शामिल करने की मांग करता है।″

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि कलीसिया को उनकी आध्यात्मिक एवं भौतिक सहायता उसे सुसमाचार पर आधारित होने में मदद देगी तथा कलीसिया में याजक एवं लोकधर्मी की इस एक ही प्रेरिताई में, सभी को ईश्वर के प्रेम के करीब लाने का अवसर प्रदान करेगा, विशेषकर, जिन्हें उनकी दया की अधिक आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि प्रथम सुसमाचार प्रचार के प्रति समर्पण, कलीसिया को मिशन में भाग लेने हेतु अधिक से अधिक प्रेरित करे। संत पापा मोनतिनि के शब्दों में, ″कलीसिया को सुसमाचार सुनाने की शुरूआत खुद सुसमाचार सुनने से होती है।″ विश्वासियों के समुदाय को आशा, भ्रातृप्रेम के साथ जीने, लगातार ध्यान देने तथा प्रेम के प्रति नवीकृत प्रतिबद्धता से सुसमाचार को सुनने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि ईश प्रजा संसार में अकसर मूर्ति पूजा से प्रभावित होती है जिसके कारण उसे ईश्वर के पवित्र वचन को लगातार सुनने की आवश्यकता है जो हमें प्रभु की ओर लौटाता है। इसका अर्थ है कि हमें लगातार सुसमाचार सुनने की जरूरत है।

संत पापा ने कहा कि 2019 में जब वे शतवर्षीय जयन्ती मनाने की तैयारी कर रहे हैं तो यह समय उनके लिए प्रार्थना, साक्ष्य देने, मिशन की गूढ़ बातों पर गौर करने एवं पवित्र बाईबिल, ईशशास्त्र एवं मिशनरी उदारता पर चिंतन करने का अवसर है ताकि वे अपने आप को नवीकृत कर सकें एवं क्रूसित एवं पुनर्जीवित ख्रीस्त की घोषणा दुनिया में विश्वसनीयता और अधिक प्रभावशाली ढंग से कर सकें।


(Usha Tirkey)

दुःख और परिवर्तन पर बच्चों के सवाल का संत पापा ने दिया जवाब

In Church on June 3, 2017 at 2:55 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): ईश्वर बच्चों को क्यों दुःख सहने देता है? बच्चे किस तरह विश्व में परिवर्तन ला सकते हैं तथा बड़े होने के भय से वे किस तरह बाहर आ सकते हैं?

ये तीन अहम सवाल, बच्चों द्वारा संत पापा फ्राँसिस से उस समय पूछे गये जब उन्होंने ″ई क्वालियेरी″ या शूरवीर कहे जाने वाले मध्य विद्यालय संगठन के सदस्यों से मुलाकात की।

शुक्रवार को इटली के इस युवा शूरवीर दल ने जब संत पापा से मुलाकात की तो उनके साथ स्पेन, पुर्तगाल, फ्राँस, स्वीटजरलैंड एवं अमरीका के बच्चे भी ऑन लाईन जुड़े थे।

मुलाकात के दौरान मार्था नाम की एक बालिका ने संत पापा से प्रश्न किया कि वह हाई स्कूल जाने एवं अपने वर्तमान के सभी दोस्तों को अलविदा कहने के भय से किस तरह बाहर निकल सकती है? संत पापा ने कहा कि जीवन लगातार छोटी एवं बड़ी मुलाक़ातों एवं बिछुड़नों की एक लम्बी यात्रा है। नये मित्रों से मिलते हुए हम आगे बढ़ते हैं तथा पुराने मित्रों को पीछे छोड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इससे वे नहीं डरें किन्तु एक चुनौती के रूप में लें। दीवार के पीछे क्या है उसकी चिंता न करें बल्कि उस क्षितिज की कल्पना करें जिसको सुदूर क्षेत्र में देखा जा सकता है तथा अपने उस नये क्षितिज की ओर सदा आगे बढ़ने का प्रयास करें।

दूसरे प्रश्न में जुलियो ने संत पापा से पूछा कि बेहतरीकरण हेतु युवा विश्व में किस तरह परिवर्तन ला सकते हैं?

इस सवाल के उत्तर में संत पापा ने बच्चों से पूछा कि यदि उनके पास दो मिठाई हो और उनका कोई मित्र आ जाए तो वे क्या करेंगे? क्या वे उसे बांटना चाहेंगे अथवा पॉकेट में डाल देंगे ताकि उसके चले जाने पर अकेले खा सकें। उन्होंने कहा कि खुला और उदार हृदय ही विश्व में परिवर्तन ला सकता है।

संत पापा ने बच्चों को परामर्श दिया कि यदि स्कूल में उनके कोई मित्र ऐसे हो जिसे वे पसंद नहीं करते हों तो उसके बारे में दूसरों के साथ बहस न करें क्योंकि ऐसा करना बंद हृदय को दर्शाता है। यदि कोई आपका अपमान करे तो बदले में उसका अपमान नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उदारता एवं एकात्मता के छोटे कार्यों द्वारा प्रतिदिन परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए। संत पापा ने कहा कि येसु हमें अपने मित्रों एवं शत्रुओं जो हमें दुःख देते हैं उनके लिए प्रार्थना करने की सलाह देते हैं जैसा कि हमारे स्वर्गीय पिता भले एवं बुरे दोनों पर सूर्य चमकाते हैं।

अंत में तानियो नाम के एक बुलगेरिन बालक ने संत पापा को बतलाया कि वह एक अनाथालय में छोड़ दिया गया था तथा पाँच साल की उम्र में एक इटालिन परिवार के द्वारा गोद लिया गया। एक साल के बाद ही उसकी नई माँ की मृत्यु हो गयी। बाद में उसके दादा दादी भी मर गये। बालक ने संत पापा से प्रश्न किया कि हम किस तरह विश्वास कर सकते हैं कि ईश्वर हमें प्यार करते हैं जबकि हमें इस तरह अपनों को खोना पड़ता है।

संत पापा ने कहा कि यही सवाल वे भी पूछते हैं जब वे अस्पतालों में बीमार बच्चों से मुलाकात करते हैं। हम किस तरह विश्वास कर सकते हैं कि ईश्वर हमें प्रेम करते हैं जब हम बच्चों को विश्व के विभिन्न हिस्सों में भूखे देखते हैं जबकि दूसरे जगहों में बहुत अधिक खाद्य पदार्थ नष्ट किये जाते हैं? संत पापा ने कहा कि इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। एक मात्र जवाब हम उन्हीं लोगों के प्रेम में पा सकते हैं जो बच्चों की सेवा एवं देखभाल करते हैं।

उन्होंने बच्चों से कहा कि ईश्वर उनके किसी सवाल का उत्तर नहीं देते किन्तु जब वे क्रूस पर नजर डालते हैं तथा याद करते हैं कि ईश्वर ने अपने एकलौटे पुत्र को दुःख सहने दिया, तब उन्हें लगता है कि इसका कुछ अर्थ जरूर है। उन्होंने कहा कि वे इसकी व्याख्या उन्हें नहीं दे सकते हैं किन्तु उन्हें इसका उत्तर खुद मिल जायेगा। संत पापा ने कहा कि जीवन में कुछ ऐसे सवाल एवं परिस्थितियाँ हैं जिनका कोई जवाब नहीं है फिर भी ईश्वर का प्रेम उसमें भी है तथा अगल-बगल के लोग उनके जीवन में उनकी उपस्थिति का एहसास दिलाते हैं।


(Usha Tirkey)

संत पापा ने लातविया के राष्ट्रपति से मुलाकात की

In Church on June 3, 2017 at 2:53 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 2 जून को वाटिकन के प्रेरितिक प्रासाद में लातविया के राष्ट्रपति रायमंड वेजोनिस एवं उनकी पत्नी इवेता वेजोन से एक निजी मुलाकात की।

वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि ″इस सौहार्द पूर्ण मुलाकात में द्विपक्षीय आपसी संबंधों पर प्रसन्नता व्यक्त की गयी तथा काथलिक कलीसिया द्वारा लातवियाई समाज को मिलने वाले सकारात्मक योगदान की सराहना की गयी।″

वक्तव्य में बतलाया गया कि मुलाकात में सार्वजनिक मामलों, खासकर, विस्थापितों के स्वागत तथा स्थानीय पृष्ठभूमि पर ध्यान केंद्रित करते हुए यूरोपीय परियोजना के भविष्य की संभावनाओं पर भी चर्चा की गयी।

प्रेस वक्तव्य में बतलाया गया कि लातविया के राष्ट्रपति ने संत पापा से मुलाकात करने के उपरांत वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन एवं वाटिकन विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल रिचर्ड गल्लाघर से भी मुलाकातें कीं।


(Usha Tirkey)

गड़ेरिये ईश प्रजा की सेवा विनम्रता से करें, संत पापा

In Church on June 3, 2017 at 2:52 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): येसु ने अपनी भेड़ों को पेत्रुस को सौंपा जो अन्य ग्यारह शिष्यों से अधिक पापी था तथा उसकी गलती एवं पापों के बावजूद उसे निमंत्रण दिया कि वह ईश प्रजा की देखभाल दीनता एवं प्रेम से करे। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन स्थित प्रेरित आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में संत योहन रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ पुनर्जीवित येसु उस झील के किनारे पेत्रुस से मुलाकात करते हैं जहाँ उन्होंने पहली बार उनसे मुलाकात की थी। (यो. 21:15-19)

संत पापा ने कहा कि यह मित्रों के बीच एक शांत बातचीत थी तथा पुनरूत्थान के बाद की गयी थी। इस घटना में येसु ने पेत्रुस से तीन सवाल करते हुए उन्हें अपनी भेड़ों को सौंप दिया था।

संत पापा ने कहा, ″येसु ने अपने प्रेरितों में से सबसे पापी को चुना। येसु को छोड़कर दूसरे सभी भाग गये थे किन्तु पेत्रुस ने उन्हें अस्वीकार किया था कि मैं उन्हें नहीं जानता हूँ। जिसके कारण येसु ने उन्हें प्रश्न किया, ″क्या तुम मुझे इनसे अधिक प्यार करते हो?″

संत पापा ने कहा कि अपनी भेड़ों के गड़ेरिये के रूप में येसु द्वारा बारहों में सबसे पापी का चयन, हमें चिंतन हेतु प्रेरित करता है। उन्होंने धर्मगुरूओं से कहा, ″एक विजेता की तरह अपना सिर ऊँचा करके एक गड़ेरिये को कार्य नहीं करना है बल्कि उसे विनम्रता एवं प्रेम से येसु के समान सेवा देना चाहिए। यही मिशन येसु ने संत पेत्रुस को सौंपा। संत पापा ने कहा कि अपनी गलतियों एवं पापों के बावजूद उसने प्रेम से अपने कार्य को पूरा किया।

संत पापा ने याद किया कि पेत्रुस किस तरह येसु को महायाजकों के सामने अस्वीकार किया था किन्तु जब येसु की नजर उस पर पड़ी तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। संत पापा ने कहा कि वह एक ऐसा शिष्य था जिसने अस्वीकार करने का साहस किया किन्तु उसके लिए आँसू बहाकर पश्चाताप भी किया। उसके बाद सारा जीवन प्रभु की सेवा में बिताया। उनके जीवन का अंत प्रभु के समान क्रूस पर हुआ फिर भी उसने कभी घमंड नहीं किया। उन्होंने येसु के समान सीधा नहीं बल्कि सिर नीचे एवं पैर ऊपर करके क्रूसित किये जाने की मांग की तथा कहा कि मैं प्रभु नहीं किन्तु उनका सेवक हूँ। संत पापा ने संत पेत्रुस के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुए कहा कि हम प्रभु से शांत रहकर मित्रता पूर्ण वार्ता करें। ईश्वर प्रदत्त प्रतिष्ठा के लिए अपना सिर अवश्य ऊँचा करे किन्तु अपनी कमजोरियों का एहसास करते हुए उसे झुकाना भी सीखें क्योंकि मात्र येसु ही प्रभु हैं और हम सभी उनके सेवक।


(Usha Tirkey)

जलवायु परिवर्तन पर ट्रम्प के निर्णय को अमरीकी धर्माध्यक्षों ने खारिज किया

In Church on June 3, 2017 at 2:51 pm

वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर अंग्रेजी): अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षों ने अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के, 2015 पेरिस जलवायु समझौते में ″मैं अमरीका की प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं करता हूँ″ कह कर अपने को अलग कर लेने के उनके निर्णय को खारिज कर दिया है।″

वाईट हाऊस से राष्ट्रपति ट्रम्प की घोषणा के तुरन्त बाद जारी एक वक्तव्य में, अमरीकी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय न्याय एवं शांति विभाग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष ऑस्कर कैन्टू ने कहा, ″पवित्र धर्मग्रंथ में एकात्मता के साथ सृष्टि एवं एक-दूसरे की देखभाल करने के मूल्य की पुष्टि है″ और” पेरिस समझौता एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो इन मूल्यों को बढ़ावा देता है।”

वक्तव्य में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रम्प का निर्णय अमरीका एवं विश्व के लोगों को हानि पहुँचायेगा, खासकर, गरीब एवं सबसे कमजोर समुदायों को।

यह भी गौर किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का एहसास किया जा चुका है, इसके द्वारा समुद्री जल स्तर बढ़ा है, बर्फ पिघल रहा है, तूफ़ानों में वृद्धि हुई है और कई जगहों पर सूखे की मार झेलनी पड़ रही है।

धर्माध्यक्ष कैन्टु ने कहा कि अमरीका की काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन, संत पापा फ्राँसिस तथा समस्त काथलिक कलीसिया ने पर्यावरण प्रबंधन को प्रोत्साहित करने और जलवायु परिवर्तन शमन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय तंत्र के रूप में पेरिस समझौते को लगातार बरकरार रखी है।

उन्होंने उम्मीद जतायी कि राष्ट्रपति वैश्विक जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और पर्यावरणीय नेतृत्व को बढ़ावा देने के ठोस तरीके सुझाएंगे।”

पेरिस समझौते के तहत 195 देशों ने संकल्प लिया था कि वे विश्व का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बढ़ने नहीं देंगे। यह लक्ष्य अब दूर होता नज़र आ रहा है।


(Usha Tirkey)